सोमवार, अक्तूबर 19, 2009

बन्द कर अब मेरा धीरज जा लिया

मेजर गौतम राजरिशी से प्रभावित होकर आज गज़ल में हाथ आज़माने का मन किया । बस लिख दिया यूँ ही कुछ निरर्थक । पर गज़ल बनी कि नहीं यह तो गज़लगो ही जानें । आप पढ़िए ।

तेरी खुराफातों से आजिज़ आ लिया ।
बन्द कर अब मेरा धीरज जा लिया ॥


कर रहा है धृष्टता पर धृष्टता ।
चैन की वंशी का सुर चुरा लिया ॥

वाहवाही दी बहुत मैंने मगर ।
आज तूने सत्य ही बुलवा लिया ॥

नाम मेरे साथ तूने जोड़कर ।
फालतू में नाम भी कमा लिया ॥

कब भरेगा पेट ओ भूखे तेरा ?
मारकर इज़्ज़त तो मेरी खा लिया ॥

मैं इशारों में नहीं समझा सका ।
कर दिया मजबूर मुँह खुलवा लिया ॥

बन रही थी जब मेरी सरकार तब ।
तू समर्थन उस समय हटा लिया ॥

अब सुधर जा कुछ भलाई भी कमा ।
पाप तो तूने बहुत कमा लिया ॥

अब दुआएं लूटने की फ़िक्र कर ।
खा चुका है अनगिनत तू गालियाँ ॥

लिख रहा था अब तलक तू फ़ालतू ।
अब गज़ल में भी कलम अज़मा लिया ?

32 टिप्‍पणियां:

  1. अब सुधर जा कुछ भलाई भी कमा ।
    पाप तो तूने बहुत कमा लिया ॥


    बहुत खूब

    बी एस पाबला

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  2. जोरदार गजल है ...बधाई।.लिखना जारी रखे।

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  3. बन रही थी जब मेरी सरकार तब ।
    तू समर्थन उस समय हटा लिया ॥

    wah!

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  4. वाहवाही दी बहुत मैंने मगर ।
    आज तूने सत्य ही बुलवा लिया ॥
    जो भी हैं वो शख्स बहुत पावरफुल लगते हैं भाई.....वर्ना आपसे सत्य उगलवाना इतना आसन नहीं होगा.!!

    नाम मेरे साथ तूने जोड़कर ।
    फालतू में नाम भी कमा लिया ॥
    हाँ...यह बहुत संभव हो की ऐसा किसी ने किया होगा.....अब भला आपको कौन नहीं जानता ??

    कब भरेगा पेट ओ भूखे तेरा ?
    मारकर इज़्ज़त को मेरी खा लिया ॥
    ये गलत बात है.....और कुछ खा लेते जो भी था वो....इज्ज़त नहीं कहनी चाहिए....

    मैं इशारों में नहीं समझा सका ।
    कर दिया मजबूर मुँह खुलवा लिया ॥
    हर शेर अच्छा बना दिया आपने विवेक जी...बेशक पहली बार आजमाया है लेकिन सही जा रहे हैं आप ऐसा मुझे लगता है ...पता तो मुझे भी नहीं है......लेकिन पढने पर जो रवानी महसूस हुई उसी के आधार पर कह रहे हैं हम....
    बधाई...

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  5. बन रही थी जब मेरी सरकार तब ।
    तू समर्थन उस समय हटा लिया ॥
    बहुत सुन्दर -- क्या इसी को हाथ आजमाना कहते है?

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  6. बढ़िया लिखा है |
    कवि,कार्टूनिष्ट,साहित्यकार ,व्यंग्यकार के बाद अब गज़लगो बन ही गए |

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  7. विवेक भाई,

    दीवाली के ब्रेक के बाद कातिलाना शायरी के अंदाज़, खुदा खैर करे...वैसे तीन-चार दिन से आपकी गैर-हाज़री खल रही थी...

    जय हिंद...

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  8. यार गुरु आल राउंडर हो गए आप तो, बहुत सुन्दर,

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  9. बन रही थी जब मेरी सरकार तब ।
    तू समर्थन उस समय हटा लिया ॥

    जियो भतिजे जियो.

    रामराम.

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  10. मस्तमौलों की अदा को है सलाम !
    ग़ज़ल हो न हो, हमारा है सलाम
    कोई कुछ भी पढ़ तुम्हे, कुढ़ता रहे
    मस्त भाषा प्यार की लिखते रहो!

    शुभकामनाएं !

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  11. मस्तमौलों की अदा को है सलाम !
    ग़ज़ल हो न हो, हमारा है सलाम
    कोई कुछ भी पढ़ तुम्हे, कुढ़ता रहे
    मस्त भाषा प्यार की लिखते रहो!

    शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  12. गजल की कुछ खास समझ नहीं हमको।
    फिर भी हमसे ये पोस्ट पढ़वा लिया॥

    जवाब देंहटाएं
  13. "वाहवाही दी बहुत मैंने मगर ।
    आज तूने सत्य ही बुलवा लिया ॥"

    अब सत्य उजागर हो ही गया है तो शरमाना कैसा:)

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  14. यकीनन गज़ल के वाइरस आपके भीतर प्रवेश कर चुके हैं ।

    वाहवाही दी बहुत मैंने मगर ।
    आज तूने सत्य ही बुलवा लिया ॥

    बन्द कर अब मेरा धीरज जा लिया ॥ "जा लिया" शब्द बहुत पसन्द आया , पूरी गज़ल में ।

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  15. सुन्दर एवं संदेशपरक रचना के लिए बधाई :)

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  16. अब सुधर जा कुछ भलाई भी कमा ।
    पाप तो तूने बहुत कमा लिया ॥

    अब दुआएं लूटने की फ़िक्र कर ।
    खा चुका है अनगिनत तू गालियाँ ॥
    वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह

    जवाब देंहटाएं
  17. आपका कृतिकार सचमुच जबरजंग है !

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  18. विवेक जी आप तो इसमें भी बाजी मार रहे हो .... बढिया लगा ...

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  19. अब सुधर जा कुछ भलाई भी कमा ।
    पाप तो तूने बहुत कमा लिया ॥

    -कुछ अमल भी करोगे कि लिख भर रहे हो? :)

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  20. Rachnaa to behad sundar hai..kya ek sujhav gar buna maane to de saktee hun? Wo yah ki,'aajij' ke badle 'aajiz' hona chahiye....anyatha na len...itnee sundar rachna me sirf ye ek shabd khatkaa..

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  21. @ kshama जी,

    गलती को सुधार दिया गया है ।

    सलाह देने का धन्यवाद स्वीकारें, हमारी सलाह मानें तो आगे भी सलाह देती रहें, और भी धन्यवाद मिलेंगे :)

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  22. हा हा...विवेक भाई, अरे गज़ब!

    मतला तो यकीनन कमाल का है...बाकी चीर-फार नहीं करेंगे जैसी कि मेरी गंदी आदत है। हम तो बस आपके अनूठे "विवेकिया अंदाज़े-बयां" के मजे ले रहे हैं।

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  23. लिख रहा था अब तलक तू फ़ालतू ।
    अब गज़ल में भी कलम अज़मा लिया ?
    प्यारे विवेक भाई,
    हमारी तो ज़िंदगी ज़्यादा बाक़ी नहीं पर हमारी यह बात हमेशा याद रखिएगा के आप एक दिन हिन्दी ब्लॉगजगत की धरोहर साबित होंगे। दिल जीत लिया आपने। मालिक ख़ूब रुतबा बक्शे।

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  24. गौतम जी की प्रेरणा है ..हमारी दुआयें .. प्रयास जारी रखें ।

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  25. aakhir gazal se bhee do char aap ho liye ,achaa hai..jaari rahe
    www.jungkalamki.blogspot.com
    vivek mishra

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  26. मै भी विवेक जी यही कहुंगा की आप प्रयास जारी रखे .........साधुवाद!

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  27. लगे रहो मुन्ना भाई....
    गौतम जी को विशिष्ट बधाई...

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