बुधवार, मार्च 31, 2010

लेदर बॉल, टेनिस बॉल और क्रिकेटर

क्रिकेट और टेनिस के खेल में समानता बस यही है कि दोनों में बॉल की पिटाई होती है । क्रिकेट में बॉलर बॉल के प्रति झूठा प्यार दिखाता है । उसे बहुत अच्छी तरह चमकाता रहता है । लेकिन उसका असली मकसद बल्लेबाज को आउट करना होता है जिसके लिए वह बॉल को अपना हथियार बनाता है । क्रिकेट में बल्लेबाज जहाँ अपनी पिच पर ही खड़ा रहता है । बॉल पीटने का अवसर वहीं उसे उपलब्ध हो जाता है वहीं टेनिस में खिलाड़ियों को बॉल के पीछे भाग-भागकर मारना होता है । क्रिकेट बॉल से चोट लगने का भय रहता है । वह कभी कभी गुस्से में मार बैठती है । जबकि टेनिस बॉल बेचारी उछलती कूदती रहती है । अब टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने का रिवाज़ जोरों पर है । पेश है कविता :

क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

बॉल आ रहीं खुद पिटने
वह बल्ला घुमा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

वह लेदर की बॉल कठिन थी
चमड़ी उसकी हुई मलिन सी
मैल भी उस पर जमा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

थका खेलते पैड बाँधकर
हेल्मेट का बोझ साधकर
कमर बेचारा झुका रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

जब न बचा कुछ मज़ा खेल में
बैट और बॉल के मेल में
बॉल से पीछा छुड़ा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

हेलमेट, पैड सब उतारे
टेनिस बॉल का नाम उचारे
बॉल टेनिस की मँगा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

टेनिस बॉल प्रसन्न हो गई
निज किस्मत पर धन्य हो गई
क्रिकेटर उसको बुला रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

इधर उधर जाने की आदत
कभी मार तो कभी इबादत
यही तो अब तक लगा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

अब मेरी अपनी पिच होगी
अब यह बॉल और हिट होगी
भाग्य ही मुझको बुला रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

टेनिस बॉल बैट से खेली
बड़ी मुलायम नई नवेली
चौके, छ्क्के उड़ा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

लेदर बॉल पड़ी कोने में
अब क्या किस्मत को रोने में
अकेलापन अब सता रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

नियति बॉल की अत्याचारी
खेल खेल फेंकी बेचारी
मौज़िल उसको बता रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

बॉल आ रहीं खुद पिटने
वह बल्ला घुमा रहा
क्रिकेटर पिच पर जमा रहा

- विवेक सिंह 'मौज़िल'
कृपया यह भी देखें सोचती यूँ क्रिकेट की बॉल

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