बचपन करे कठिन मजदूरी
हमने करी तरक्की काफी
लेकिन अभी अधूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
नंगे पैर घूमता दिनभर
पालीथिन भी उठा उठाकर
हों न जरूरत पूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
रातों में देर तक जागता
प्लेटफार्म पर बोल भागता
"लो पेठा अंगूरी"
बचपन करे कठिन मजदूरी
रोज चाय के गिलास धोता
पिटने पर भी कभी न रोता
पिटाई लगने लगी जरूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
पीने में बस पानी पीता
रूखी-सूखी खाकर जीता
रोटियां भी न मिलें तंदूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
चाचा नेहरू ? नहीं जानता
बाल-दिवस को नहीं मानता
न जाने शिमला, मंसूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
पता नहीं कब बडा हो गया
मिला न उसको कभी कुछ नया
कुछ न कुछ सदा रही मजबूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
हमने करी तरक्की काफी
लेकिन अभी अधूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
Very good.......
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंहमारे देश की यह एक भयंकर सचाई है, लेकिन सरकार कुछ नही करती बक्वास करने के सिवा
जवाब देंहटाएंbadi hi marmsparshi rachna...
जवाब देंहटाएंEk aah nikalti rahi dilse..!
जवाब देंहटाएंबेहद मार्मिक... सरकार ने कानून बनाकर इतिश्री कर ली..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअरे भाई, बहुत दिन बाद पधारे हो।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंहमने करी तरक्की काफी
जवाब देंहटाएंलेकिन अभी अधूरी
बचपन करे कठिन मजदूरीहमने करी तरक्की काफी
लेकिन अभी अधूरी
बचपन करे कठिन मजदूरी
बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति है ...एक अच्छी रचना .....बचपन आज सच में कही खोता जा रहा है .......और इसके जिम्मेदार सरकार , के साथ-साथ आम आदमी भी है ...और ये बाल मजदूरी जैसी बुराई गाँव के अपेक्षा शहरों में ज्यादा पनप रही है ....बचपन को छीनने वाली सबसे प्रमुख बुराई है ये ....इसी कारण गरीब बच्चे अशिक्षित रह जाते है ....और सारी समस्याएं फिर यही से जन्म लेती है ....अच्छी प्रस्तुति /// .....सादर प्रणाम
http://athaah.blogspot.com/
baal mzduri kaa ahchaa prstutikrn he baal mzdoor nirodhit qaanoon or unki kriyaanviti pr srkaar ki upeksha pr bhi kuch grmaa grm likhaa jaaye. akhtar khan akela kota rajasthan mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com
जवाब देंहटाएंसही है भाई सच्चाई इसी में है
जवाब देंहटाएंसही बात!
जवाब देंहटाएंदेखते हैं अब शिक्षा का अधिकार इस समस्या का कितना समाधान करता है.
जवाब देंहटाएंvey nice...
जवाब देंहटाएंi wanna add this..
na maa baap ka pyar mila,
har jagah keval dhutkar mila,
"dedo roti, pila do paani"
bachpan bhar bas yahi kahani,
kya ishwar ko ye karna tha zaroori,
bachpan kare kathin majdoori.....
marmik ,dil ko choo gayee ye rachana..
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