संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
बुधवार, सितंबर 03, 2008
ज़िन्दगी क्षणभंगुर है
क्षणभंगुर है जिन्दगी, फिर क्यों तू घबराय । आया मुट्ठी बाँध कर, हाथ पसारे जाय । हाथ पसारे जाय, यहीं सब रह जाता है । ईश्वर ही सच्चा है, झूठा हर नाता है । विवेक सिंह यों कहें यही जीवन का गुर है । फिर क्यों तू घबराय ज़िन्दगी क्षणभंगुर है ।।
५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.
५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.
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