गुरुवार, नवंबर 13, 2008

फुरसतिया ब्राण्ड टाइमपास

लिखने बैठे ब्लॉग मगर क्या लिखें नहीं खुद जानें ।
ऊटपटाँग अगर लिख जाए प्लीज बुरा मत मानें ॥

लिखना हमको आ जाए तो फिर क्या ब्लॉग लिखेंगे ?
टीवी, अखबार में बसेंगे बाहर ना निकलेंगे ॥

टीवी का तो मत पूछें यह बहुत बुरी बीमारी ।
बेचारा अखबार दशा इसकी ना जाय निहारी ॥

राजा सिर्फ एक दिन का यह उसके बाद भिखारी ।
जाने क्या क्या पोंछ पोंछकर फेंकें अत्याचारी ॥

पडा रहा जाकर कूडे में बिलख बिलखकर रोया ।
कैसी किस्मत पायी सब सुख एक रात में खोया ॥

किस्मत का क्या कहना इसके देखे खेल निराले ।
अंधों के हाथ बटेर मरें भूखे सब आँखों वाले ॥

मरता कुछ भी कर सकता है पापी पेट बताया ।
ईश्वर के इस अद्भुत जग में कहीं धूप कहीं छाया ॥

ईश्वर ने जो ऊँट बनाया उसके मुँह में जीरा ।
जीरे का अब भाव बढ गया हो जैसे यह हीरा ॥

हीरे की तो परख जौहरी ही बतला सकता है ।
हीरा डाक्टर सदा मरीजों का रास्ता तकता है ॥

तकने और ताकने में भी बडा फर्क है भाई ।
ताक झाँक की आदत तो लोगों ने बुरी बताई ॥

तकना मतलब इंतजार करना है जमकर तकिए ।
जब सोना हो तो तकिए को सिर के नीचे रखिए ॥

सोने की कीमतें आजकल आसमान छूती हैं ।
आसमान से बारिश हो तो छतें खूब चूती हैं ॥

चूने से सब गीला गीला होता कोना कोना ।
चूना घर पर करदें तो हो इसका रूप सलौना ॥

रूप रंग में क्या रक्खा है हृदय उतरकर जानें ।
हृदय उतरकर मिलें रक्त में नस नस को पहचानें ॥

खूनी लाल रक्त का रंग तो डरावना होता है ।
आवश्यक है रक्त तभी तो रक्तदान होता है ॥

काले गोरे सबके भीतर एक लहू ही पाए ।
गोरे करें न गर्व रंग यह दो दिन में ढल जाए ॥

अगर तीन दिन तक न ढले तो थोडा घमण्ड करलें ।
चौथे दिन तक बचा रहे तो आसमान सिर धरलें ॥

खुबसूरत लोगों के पडते कभी न पैर जमीं पर ।
इनके गुण ही सब देखें बस परदा पडा कमी पर ॥

सबकी आँखों के तारे ये सूरज चाँद कहाए ।
सोचो इनके बीच कभी गलती से धरती आए ॥

होगा क्या बस चंद्रग्रहण सबको दिखलाई देगा ।
मिलें बधाई सूरज को चंदा मामा को ठेंगा ॥

ठेंगा अगर दिखाएंगे तो भैंस बिदक जाएगी ।
अक्ल बडी या भैंस पूछकर सबको भरमाएगी ॥

जिसकी लाठी भैंस उसी की और अक्ल भी उसकी ।
सदा भैंस वालों की तर है बाकी सबकी खुसकी ॥

काला अक्षर भैंस बरावर अब काला मत लिखना ।
इतने छोटे कम्प्यूटर में मुश्किल उसका फिटना ॥

कम्प्यूटर भी चीज अजब है क्या क्या गुल खिलवाए ।
इण्टरनेट लगालें तो यह किस किस से मिलवाए ॥

इण्टरनेट बिना रक्खा है बुद्धू बक्से जैसा ।
हम भी बुद्धू यह भी बुद्धू है जैसे को तैसा ॥

बुद्धू बुद्धिमान क्या दोंनों अलग अलग होते हैं ।
इनमें मेल खूब रहता है साथ साथ सोते हैं ॥

मेल मिले तो पढकर उसको डिलीट कर देते हैं ।
अगर लगे आवश्यक तो रिप्लाई भी देते हैं ॥

इतना धैर्य धरा है तो बस और जरा सा धरलें ।
अच्छी बुरी जिस तरह भी हो एक टिप्पणी करदें ॥

डरें न हडकाना चाहें तो हडका भी सकते हैं ।
निश्चित है हम यह न कहेंगे साहब क्या बकते हैं ?

16 टिप्‍पणियां:

  1. डरें न हडकाना चाहें तो हडका भी सकते हैं ।
    निश्चित है हम यह न कहेंगे साहब क्या बकते हैं ?


    -इतना धैर्य धरा है तो बस अब क्या हड़कायें..बस टिप्पणी कर देते हैं..बधाई वाली.

    काफी समय लगा होगा लिखने में? :)

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  2. काफी कुछ लिख गये हो भाई, मजेदार लिखा है।

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  3. किस्मत का क्या कहना इसके देखे खेल निराले।
    अंधों के हाथ बटेर मरें भूखे सब आँखों वाले ॥
    बिलकुल सही दर्शन . क्या बात है . लगे रहो विवेक भाई

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  4. कित्ते नीतिवान दोहे हैं! फ़ुरसतिया ब्राण्ड की बात ही कुछ और है! है न!

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  5. इतना धैर्य धरा है तो बस और जरा सा धरलें ।
    अच्छी बुरी जिस तरह भी हो एक टिप्पणी करदें ॥

    लो भाई विवेकसिंह जी ताऊ के पास टिपणी छोड़ कर और क्या है ? :) अब आपने फुरसतिया ब्रांड लगा दिया तो जाहिर बहुत मेहनत लगी है माल तैयार करने में ! और दीख भी रहा है ! बहुत आनंद आया ! बधाई और शुभकामनाएं !

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  6. कित्ते जबरदस्त टाईप के हड़काऊं दोहे हैं, वाह भाई वाह

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  7. कटु सत्य लिखा है आपने। पर अच्छा 'बकते' हो

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  8. कहाँ से कहाँ तक बक गए आप ! बकते-बकते बड़ा अच्छा भटकते हैं :-)

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  9. काला अक्षर भैंस बराबर,तो क्या हड़काएँ
    ब्लाग आपका पढ़-पढ़क्र,बस हम मुस्काए!

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  10. भाई, विवेक जी, तुमने तो मजा ठा दिया, स्टेप बाई स्टेप। इतनी लम्बी कविता पढने में उत्सुकता बनी रही.

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  11. चेला निकला गुरु, गुरु ये दुनिया को बतलाये
    नीतिवान दोहों को पढ़कर मन ही मन मुस्काये

    मन की ये मुस्कान फूटकर है मुखड़े पर आई
    गुरु बैठकर गुड खाए और चेला खूब मलाई

    खूब मलाई खाकर चेला सुंदर दोहे रचता
    गुरु अगर रचना भी चाहे कोई विषय न बचता

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  12. soch raha tha fursatiya brand kaise hai?

    scroll kiya to pata chal gaya..

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  13. फुरसतिया ब्रांड लंबा हो गया ....आख़िर में मिश्रा जी ने भी ठेल दिया ....सही है

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  14. इतना धैर्य धरा है तो बस और जरा सा धरलें ।
    अच्छी बुरी जिस तरह भी हो एक टिप्पणी करदें ॥
    भाई तो फ़िर लो हमारी ये टिप्पणी | बहुत अच्छा लिखा है पढ़कर मजा आ गया |

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  15. इतना धैर्य धरने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आप सभी का शुक्रिया . पर मुझे ये उम्मीद नहीं थी कि कोई नहीं हडकाएगा . बेनामी जी से तो बिल्कुल भी नहीं थी . हडकाई खाने के लिए क्या इससे भी खराब लिखना पडेगा ? :)

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