सोमवार, अक्तूबर 03, 2011

ताजगी अक्टूबर का मास


ताजगी अक्टूबर का मास

दूर दूर तक नहीं कहीं पर
गरमी का आभास

ताजगी अक्टूबर का मास
धरती जैसे हुई पुष्पमय
नभ ने कहा शरद ऋतु की जय
अब न उमस का है कोई भय
यत्र तत्र सर्वत्र, दिखाई
देता बस उल्लास
ताजगी अक्टूबर का मास

त्यौहारों की चहल पहल है
खेतों में धान की फसल है
लगता है ज्यों पवन नवल है
शीतल स्वच्छ प्राणवायु पा
नई हुई हर साँस
ताजगी अक्टूबर का मास

दूर दूर तक नहीं कहीं पर गरमी का आभास
ताजगी अक्टूबर का मास

5 टिप्‍पणियां:

  1. नवदुर्गा का पूजन होता
    रामायण का मंचन होता
    ताल ठोंककर दंगल होता
    गाँव शहर में मंगल होता
    मेला करने लोग निकलते
    करें हास-परिहास
    ताजगी अक्टूबर का मास

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  2. Abhi Garmi poori Tarah se gayi nahin...atki padi hai...abhi das barah din shayad aur lagen ise vida hone men...
    Sundar Rachna

    Neeraj

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  3. मौसम बदल रहे है और हम झेल रहे गर्मी का संत्रास... हाय ये अक्तूबर का मास

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