बुधवार, जुलाई 21, 2010

1088 नाबाद (रेल के खेल का स्कोरकार्ड)

जार्ज फर्नाण्डीज और सी.के. जाफर शरीफ : 532 में 221 मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 1 साल)

सी.के. जाफर शरीफ : 2189 में 530 मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 4 साल)

नरसिंह राव : 398 में 427 मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 1 साल)

रामविलास पासवान : 773 में 292 मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 2 साल)

नीतीश कुमार : 1090 में 424 मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 3 साल)

लालू प्रसाद यादव : 1034 में 934  मारकर आउट ( क्रीज पर रहे 5 साल)

ममता बनर्जी : 1495+ में 1088 मारकर नाबाद ( क्रीज पर टिके हुए 4 साल से ज्यादा हो गए )

मंगलवार, जुलाई 13, 2010

किसी को ताव आया, किसी को मानसून भाया

पिछ्ली पोस्ट में हमने आपको बताया था कि एक और अंग्रेजी कविता लिखने का प्रयास जारी था । वह कविता आखिर हमने लिख ही डाली है । बच्चे को रटने हेतु लिखकर देदी गयी है । आपको भी एक प्रति उपलब्ध करायी जा रही है ।

पिछली पोस्ट पर अंग्रेजी कविता पढ़कर श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी को ताव आ गया था । लिहाजा उन्होंने कविता का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत कर दिया, वह ऐसा जिसे पढ़कर हम उनके भक्त हो गए हैं ।

वास्तव में अंग्रेजी पोस्ट ठेलते समय हमारे मन में थोड़ी झिझक अवश्य थी और हमने भी उसका हिन्दी अनुवाद छापने का मन बनाया था । लेकिन कविता का कविता में ही अनुवाद करना वह भी बिना मूलभाव को बदले हमसे न हो सका ।

वह तो भला हो त्रिपाठी जी के ताव का जो उनसे ऐसी सुन्दर कविता लिखवा डाली । वैसे हमें विश्वास नहीं होता कि अंग्रेजी कविता पढ़कर किसी को ताव(बुखार) आ सकता है और उसके कारण आदमी अनुवाद करने लग जाता है । अवश्य ही ताव आने का कारण रात को देर तक जागना रहा होगा जिसके त्रिपाठी जी अभ्यस्त नहीं हैं ।

पर इस सबसे आपको क्या आप तो कविता पढ़िये । लेकिन पहले पिछली पोस्ट पर ठेली गयी अंग्रेजी कविता का त्रिपाठी जी द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत है :

गलती मेरी नहीं है काफी

प्रभुजी दे दो फिर भी माफी

मैं गरीब तू बड़ा महान

भाग्यविधाता लूँ मैं मान



पर इतना तुम रखना ध्यान

नर, नाहर, बिल्ली और श्वान

सबको रखता एक समान

मौन प्रहार करे भगवान



जिसने परपीड़ा पहुँचाई

वह अभिशप्त रहेगा भाई

निर्बल को मारन है पाप

दुनिया कहती सुन लो आप



सुन उपदेश शिकारी भड़का

ले बन्दूक जोर से कड़का

धाँय-धाँय... पर नहीं तड़पना

शुक्र खुदा का यह था सपना



अब अंग्रेजी की दूसरी कविता :



We were waiting for monsoon,
asking,"Is it late or soon ?"
In temples, farmers worshipped.
Finally it arrived.

Then the rainy season came.
Sun played a hide and seek game.
clouds called the wind to help.
Sun too surrendered himself.

It began a heavy rain,
that stopped the bus and train.
All around water filled.
Elders worried, children thrilled.

शायद फिर किसी को ताव आ जाए तो एक और कविता मिले हिन्दी को ।

रविवार, जुलाई 11, 2010

Tiger's Nightmare

प्रस्तुत कविता बच्चे के स्कूल के लिए लिखी गई थी, ताकि वह इसे मंच पर सुना सके । लेकिन लिखने के बाद लगा कि कुछ गम्भीर हो गई । इसलिए स्कूल के लिए दूसरी कविता लिखने का प्रयास जारी है । इसे ब्लॉग पर डाल दिया है । पड़ी रहेगी । क्या पता कोई पढ़ ही ले ।
Tiger

“Though I have done no mistake,
Excuse me for God’s sake.
I am poor, you are great.
You are master of my fate.


But remember always that,
human, lion, dog or cat,
all creatures are same for God.
No sound is, in his rod.



He, who will afflict others,
will be facing horrid curse.
Killing weak is not correct.
This is universal fact.”



Listening this the hunter said,
“Don’t teach me good and bad.”
Gun fire ! but no scream ?
Thank God it was a dream !

मित्रगण