ताजगी अक्टूबर का मास
दूर दूर तक नहीं कहीं पर
गरमी का आभास
ताजगी अक्टूबर का मास
धरती जैसे हुई पुष्पमय
नभ ने कहा शरद ऋतु की जय
अब न उमस का है कोई भय
यत्र तत्र सर्वत्र, दिखाई
देता बस उल्लास
ताजगी अक्टूबर का मास
त्यौहारों की चहल पहल है
खेतों में धान की फसल है
लगता है ज्यों पवन नवल है
शीतल स्वच्छ प्राणवायु पा
नई हुई हर साँस
ताजगी अक्टूबर का मास
दूर दूर तक नहीं कहीं पर गरमी का आभास
ताजगी अक्टूबर का मास