जब राम जी को वनवास के दौरान यह खबर मिली कि अयोध्या में घोटाला हुआ है तो वे न तो उदास हुए और न अपनी प्रसन्नता ही उन्होंने लक्ष्मण जी को जाहिर होने दी । पर जो लोग यह दावा करते थे कि वे खत का मजमून भाँप लेते हैं लिफ़ाफ़ा देखकर, उन्होंने यह दावा किया कि राम जी को खुशी हुई थी क्योंकि घोटाले का ठीकरा भरत जी के सिर फूट रहा था और रामजी की खड़ाऊँ साफ बच निकली थीं ।
भरत को वन में आने के आदेश दिये गए । भरत आए । साथ में सफाई भी लाए । इतनी सफाई लाए कि जंगल के पेड़ पौधे साफ़ हो गए और जंगल में मंगल हो गया । उन्होंने कहा, " भैया ! होनी को कौन टाल सकता है ? घोटाला तो होना था सो गया । पर आप इसका पॉजीटिव पक्ष भी तो देखिए । आपके राज में घोटाला भी हुआ तो आदर्श !"
किन्तु राम जी न पसीजे । उन्होंने लक्ष्मण को मामले की जाँच करके रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया । लक्ष्मण तो इसी ताक में थे । उन्होंने जाँच करके रिपोर्ट दी कि अब भरत को वन में बुला लिया जाय ताकि यह अपना आदर्श कार्य बड़े स्तर पर कर सकें । खड़ाऊँ शत्रुघ्न के हवाले कर दी जाएं ।
जब यह खबर अयोध्या वासियों को मिली तो वे राम की जय जयकार करने लगे ।
( कलयुग की रामायण से )
संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
बुधवार, नवंबर 10, 2010
रविवार, नवंबर 07, 2010
ओ मामा कुछ देते जाना
ओ मामा कुछ देते जाना
सीट सुरक्षा परिषद की दो
या देने का करो बहाना
ओ मामा कुछ देते जाना
थोड़ी सी तारीफ हमारी
कर दोगे यदि अबकी बारी
बिगड़ेगी न तबीयत थारी
फिर यूँ काहे का शरमाना
ओ मामा कुछ देते जाना
"भ्रष्टाचार कहीं भारत में
मिला न मुझे किसी हालत में
है ईमान यहाँ नीयत में"
दुनिया को ऐसा बतलाना
ओ मामा कुछ देते जाना
पाक पड़ौसी को हड़काना
खुलेआम कुछ डाँट पिलाना
बेशक करके फोन मनाना
खेप डालरों की भिजवाना
ओ मामा कुछ देते जाना
संकट में देश की लाज है
दकियानूसी यह समाज है
ऊपर से कोढ़ में खाज है
चलन गाल से गाल मिलाना
ओ मामा कुछ देते जाना
सीट सुरक्षा परिषद की दो
या देने का करो बहाना
ओ मामा कुछ देते जाना
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