शनिवार, नवंबर 22, 2008

यहाँ टिप्स हैं टिप्पणियों के


आओ ब्लॉगरो तुम्हें बताएं ।
ब्लॉगिंग में कैसे टिपियाएं ॥
यूज करें कट पेस्ट टेक्निक ।
माउस से बस करें दो क्लिक ॥
कम ना समझें टिप्पणियों को ।
बना चुकी हैं ये कइयों को ॥
जम कर सबको दें टिप्पणियाँ ।
जुडें आपकी सबसे कडियाँ ॥
मेहनत करलें शुरुआत में ।
करें खूब आराम बाद में ॥
कर्जदार सब हो जाएंगे ।
बैठे आप ब्याज खाएंगे ॥
चंद नमूने यहाँ बाँच लें ।
जो पसंद हों उन्हें छाँट लें ॥

"अरे वाह क्या खूब लिखा है ।
इसमें गहरा राज छिपा है ॥
आप उच्च श्रेणी के लेखक ।
स्वीकार करते हम बेशक ॥
लिखते रहिए रोज कुछ न कुछ ।
पढते ही पाठक हों बेसुध ॥
जुदा लगा अंदाज आपका ।
क्या कहना तुम्हरे प्रताप का ॥
ऐसे लेखक कम मिलते हैं ।
शब्द आपने खूब चुने हैं ॥
बात सुनें अब मेरे मन की ।
इच्छा है तुम्हरे दर्शन की ॥
आप बधाई तो स्वीकारें ।
मेरे भी ब्लॉग पर पधारें ॥
नहीं आपका जबाब कोई ।
पढकर हमने सुध बुध खोई ॥
बेशक आप तिरेपन के हैं ।
कार्य आपके बचपन के हैं ॥
है अंदाज जवानों जैसा ।
सत्य यही है संशय कैसा ॥
ब्लॉगजगत की आप धुरी हैं ।
कुछ लोगों की नज़र बुरी हैं ॥
बुरी नज़र ना लगे आपको ।
फेंकें आस्तीन के साँप को ॥
लिखें साथ में जब घरवाली ।
ट्यूब आपकी कभी न खाली ॥
अपना अलग बिलाग चलाते ।
साझे में शामिल हो जाते ॥
यह साझा भी सुन्दर कैसा ।
कौए और गिलहरी जैसा ॥
पूछे कोई ब्लॉगिंग क्या है ।
हमने सबको बता दिया है ॥
आप जो लिखें ब्लॉग वही तो ।
कहते हैं सब लोग यही तो ॥
कलम आपकी जो चल जाए ।
मिट्टी भी सोना बन जाए ॥
ब्लॉग जगत के आप हैं राजा ।
बजा रहे हैं सबका बाजा ॥
बैंगन व मूँगफली टमाटर ।
धन्य आपकी दृष्टि पाकर ॥
मेरा यही विनम्र निवेदन ।
करते रहें लक्ष्य का बेधन ॥
टिप्पणियों से ना हों विचलित ।
ये तो आती रहतीं हैं नित ॥
नाम टिप्पणीकार हमारा ।
ब्लॉग रोज पढते हैं थारा ॥
हम न किसी की भी मानेंगे ।
खाक लिखो वो भी छानेंगे ॥
जिस ब्लॉगर का सिक्का खोटा ।
उसे विषय का रहता टोटा ॥
आप जहाँ भी दृष्टि डाल दें ।
पानी से अमृत निकाल दें ॥
माना कलयुग में हो रहते ।
कथा मगर द्वापर की कहते ॥
आप जहाँ भी हाथ लगाते ।
अनायास ही बस छा जाते ॥
बन जाते हो कभी निठल्ले ।
सदा आपकी बल्ले बल्ले ॥
नहीं कभी टाइम का टोटा ।
समय दण्ड पकडे हो मोटा ॥
सारे ब्लॉगजगत में जाहिर ।
टाँग खींचने में हो माहिर ॥
टाँग किसी की जो दिख जाए ।
फिर न आपसे वह बच पाये ॥
कसकर पकड खींच लेते हो ।
किन्तु मुस्करा कर कहते हो ॥
अरे मित्र हो गया ये लोचा ।
मैंने ऐसा कभी न सोचा ॥
मैंने रैण्डमली खींची थीं ।
दोनों आँख रखीं मींची थी ॥
छोडो इसमें रोना कैसा ।
आगे से न करेंगे ऐसा ॥
भैंस आपकी है हीरोइन ।
ब्लॉगिंग में सब सूना इस बिन ॥

अब विराम बस तारीफों पर ।
एक नज़र डालें दोषों पर ॥

ब्लॉगजगत खेमों में बाँटा ।
इसी बात का है बस काँटा ॥
जल्दी बुरा मान जाते हो ।
टंकी पर भी चढ जाते हो ॥
मान मनौती करवाते हो ।
वापस किन्तु लौट आते हो ॥
तीसमार खाँ खुद हो बनते ।
अन्य किसी को कहीं न गिनते ॥
झगडा स्वयं मोल लेते हो ।
सारा दोष हमें देते हो ॥
पोस्ट गैर की चार लाइना ।
अपनी किन्तु माइक्रो कहना ॥
दस टिप्पणी मँगा लेते हो ।
तत्पश्चात एक देते हो ॥
यह क्या तुम नाराज़ हो गए ?
किस खयाल में आप खो गए ?
कहा सुना सब माफ करो जी ।
लिखते रहो युँही मनमौजी ॥ ॥ "

एक नज़र इस पर भी डालें ।

शायद कुछ पसंद का पा लें ॥

26 टिप्‍पणियां:

  1. एक पोस्ट में पूरा ब्लॉग जगत घूँसा दिया... कमाल है विवेक भाई.. बढ़िया निचोड़ा है आपने ब्लॉगिंग को.. ब्लॉगिंग में आने के छ महीने बाद हर ब्लॉगर एक ऐसी पोस्ट लिखता है.. हमने भी लिखी है..

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  2. भई विवेक जी, आपने सीधे हमारी भावनाओं पर चोट की है. अब तुम्ही बताओ कि हम अपनी टिप्पणियों में क्या लिखे. अपने सीधे हम पर ही व्यंग किया है. क्या सोचकर लिखा है आपने? यही कि पढने वाले पढेंगे और फिर भेजेंगे-"आप बहुत अच्चा लिखते हो. आपका जवाब नहीं. ऐसे ही लिखते रहिये. "
    मै भी तो ऐसी ही टिप्पणियाँ लिखता हूँ. आपसे ही सीखा है.

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  3. " ha ha great sense of humour, enjoyed reading it, interesting"

    regards

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  4. यह तिप्पनांजलि सबको भा गयी है
    ब्लॉग जगत में तो बस छा गयी है

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  5. टिप्पणी चालीसा गजब का लगा इसे पढ़कर ऐसा लग रहा है . टिप टिप ठक ठक ठीक टिप टिप्पणी करता ही रहूँ जी वाह

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  6. शानदार कविता,
    भई हमें भी लपेट लिया! वैसे मुझे अच्छा लगा इस बात का कि मुझे भी याद किया।
    :)
    बधाई

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  7. बहुत खूब विवेकजी। इसे कहते हैं भिजा-भिजा कर मारना।

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  8. अरे वाह क्या खूब लिखा है ।
    इसमें गहरा राज छिपा है ॥
    आप उच्च श्रेणी के लेखक ।
    स्वीकार करते हम बेशक ॥

    जय गुरुदेव :-)

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  9. सारी टिप्पणियों से अलग "हट के" टिप्पणी करेंगे हम तो - "खबरदार जो अगली बार से इतनी लम्बी कविता लिखी तो, 2-4 हत्याओं का केस बन जायेगा… :) :) :) वह भी बिना हथियार के :)

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  10. "अरे वाह क्या खूब लिखा है ।
    इसमें गहरा राज छिपा है ॥
    आप उच्च श्रेणी के लेखक ।
    स्वीकार करते हम बेशक ॥

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  11. बहुत जबरदस्त शोध चल रहा है भई..

    रहा होगा कोई कवि महान
    और
    शोध से उपजा होगा गान!!!

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  12. अरे भय्या, सारी वाहवाही आपही ले जाओगे तो बाकी बिलागारों के लिए का बचेगा? बहुत सुंदर पोस्ट, बधाई स्वीकारें!

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  13. बहुत कमाल का टिपणी चालीसा है ! जय हो महाप्रभु आपकी ! छा गए आपतो ! शुभकामनाएं !

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  14. तुम जाकर अब समझे लल्लू,
    ये ब्लॉग जगत के नकटे हैं.
    नकटी के चक्कर में इनके ,
    अब प्राण हलक में अटके हैं.
    मैं जाता हूँ,वो चली गयी,
    पर झक सब यहीं मराते हैं.
    इनकी लीला को देख-देख,
    ज्ञानी मन में मुस्काते हैं.
    भैसों से प्रेम करे मिलकर,
    कुतियों से इश्क लड़ाते हैं.
    मक्खी भी गर फंस जाती है,
    सब मिल कर मौज मनाते हैं.
    चीलों गिद्धों की महफिल में,
    कौओं की भी बन आयी है.
    ये आँखों देखी है अपनी,
    तुम को भी मित्र बधाई है.
    चमकों रानी के जल्वों पर,
    ये जान लुटाये हैं सारे.
    आईना दिखाने वालों का,
    मर्डर करवायें है सारे.
    अब अपना दिल तो टूट गया,
    हम कहाँ फँसे हत्यारों में.
    खोजेंगे हम रोशनी कोई,
    हैं अभी बहुत अँधियारो में.
    तू ने सब खरी खरी कहकर,
    मन जीत लिया है हे बच्चे.
    वरदान तुझे हम देते हैं,
    इक दिन रोयेंगे ये लुच्चे.

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  15. अरे वाह क्या खूब लिखा है ।
    इसमें गहरा राज छिपा है ॥
    आप उच्च श्रेणी के लेखक ।
    स्वीकार करते हम बेशक

    Kya dhobi pachar maara hai sab per

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  16. कलम आपकी जो चल जाए ।
    सोना भी मिट्टी बन जाए ॥
    ब्लॉग जगत के आप हैं राजा ।
    बजा रहे हैं सबका बाजा ॥
    तब भी तो हम कहते रहते
    जब फुर्सत हो ब्लॉग पे आ जा ||

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  17. भाई जी आप जितना लिख्लर खुश नहीं हुए होंगे....उतना मैं आपको पढ़कर खुश हो रहा हूँ.....देखिये.........देखिये........मैं तो नाच भी रहा हूँ........वो तो गनीमत है मैं पहली बार यहाँ आया..वरना दिखाता आपको अपने नाचने का ढंग.......अब आज तो छोडिये....फिर आउंगा.....पहले आप भी आए ना......चाय-वे पियेंगे...........अबे क्या कहा दारू.........छि-छि-छि........हम भूत ये बदबूदार चीज़ नहीं पीते...........!!

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  18. भाई विवेक


    आप अती सुंदर व्यंग लिखते है पढ़ कर बड़ा ही मज़ा आया .आप के ब्लॉग को पढ़ कर अच्छा तो लगा ही और मेरी इंडियन पॉलिटिक्स के बारे में नालेज भी बढ़ी है. यहाँ हजारों मील दूर बेथ कर बहुत कुछ पता नही चलता

    आशु

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