सोमवार, जनवरी 19, 2009

तौबा तौबा गम्भीरपना !


वो खुद हडकाकर पूछ रहे ,
तुमको किसने हडकाया है ।
आ गया घोर कलियुग अब तो ,
राहु केतु की छाया है ॥

जो हडकाते हैं हमें यहाँ ,
ये कहते हैं आभार उन्हें ।
जब इनके जैसे मित्र मिले ,
दुश्मन की क्या दरकार हमें ॥

कल सुबह सुबह हडकाई खा ,
हमने खुद यह फैसला लिया ।
गम्भीर बनेंगे अब हम भी ,
यह हा हा ठी ठी बहुत किया ॥

जब पहुँच गए हम ड्यूटी पर ,
हमने मित्रों को बता दिया ।
"हमको समझें गम्भीर सभी"
वे बोले "तूने बुरा किया ॥

तूने वादा यह कठिन किया ,
यह निभा सकेगा तू कैसे ?
चल यही शर्त रख लेते हैं ,
हँसने पर देगा तू पैसे ॥"

लग गई शर्त हम भूल गए ,
वे जोक सुनाते रहे हमें ।
हम हँसते थे बिल बढता था ,
इसका कुछ भान न था मन में ॥

जब घर आने का समय हुआ ,
तब हमको बिल दे दिया गया ।
मित्रों को हमको ठगने का ,
यह खूब तरीका मिला नया ॥

ले गए एक सौ का पत्ता ,
पूरे दस बार हँसे थे हम ।
तौबा तौबा गम्भीरपना ,
भई खुलकर खूब हँसेंगे हम ॥

कोष्ठक में : कृपया कोई इसे अपने ऊपर आक्षेप न समझे । यह सब हँसी मजाक ही है !

28 टिप्‍पणियां:

  1. वो खुद हडकाकर पूछ रहे ,
    तुमको किसने हडकाया है ।
    आ गया घोर कलियुग अब तो ,
    राहु केतु की छाया है ॥
    "" ताऊ कौन की पहेली कम थी क्या जो "वो कौन " की पहेली ......"वो बोले तो आपको हड़काने वाले....कौन कौन या फ़िर सिर्फ़ "वो" ...अजीब मुश्किल है.."
    Regards

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  2. इस बार का हास्‍य तो और भी मस्‍त बन पड़ा है:)

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  3. हमने तो इसे अपने ऊपर आक्षेप ही समझा है.. क्या कर लेंगे आप? :)

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  4. ये 'वो' कौन है?
    हँसने पर टैक्स? अरे बाप रे !

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  5. भाई ज़रा कुश की भी सुनी जाए और उस सौ के पत्ते में हमारा हिस्सा नही मिला है. ज़रा भिजवा दिया जाए. :)

    रामराम.

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  6. जरा आहिस्ता भाई, किसी मंत्री की नजर पदी तो एक नया tax लग जायेगा।

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  7. हा हा ये गम्भीरपना कौन सा था सच में गम्भीर वाला या गौतम गम्भीर (दे दनादन ले दनादन)वाला ? मज़ा आ गया। वाह।

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  8. matlab aap chhoti-chhooti baaton se bhi hadakte hain..
    chaliye aage se iska khyaal rakhenge..
    ham bhi hadkaya karenge aapko.. :)

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  9. सिंह हो कर हड़क गए
    हसी भूल कर भटक गए
    १०० रु गवां कर
    फ़िर से तुम सुधर गए

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  10. एकदम खुलकर हंसिये, हंसते ही रहिये.

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  11. गंभीरपने को 'पना' बना बस पीता जा तू, हे ब्लॉगर
    गर मज़ा मिल रहा हंसने में गंभीर रहे फिर तू क्योंकर
    गंभीर बने स्टील ओढ़ हड़काए गर वो कभी तुझे
    तू इतना हंस और ठट्ठा कर कि भागे वो बस इधर-उधर

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  12. लगता है आपको आपके बॉस ने हड़काया है... हम भी उसी नाव में सवार हैं!!

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  13. जो हडकाते हैं हमें यहाँ ,
    ये कहते हैं आभार उन्हें ।
    जब इनके जैसे मित्र मिले ,
    दुश्मन की क्या दरकार हमें

    --हा हा!! न जाने कौन है वो.. :)

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  14. अरे, विवेक भाई !
    जरा सा गुनगुना दो..
    "हड़का लो.. हड़काना
    हम हड़क हड़क के भी तुम्हारे गीत गायेंगे.. "

    या फिर,
    सौ गँवाया हँस के.. तो मैं हज़ार दूँ गँवाय
    पोस्ट के ’वो' तेरे कौन से 'वो'हैं ये तो देयो बताय !

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  15. क्या चतुराई है! आप हँसाते रहें; हम टैक्स देते रहें। लगता है अब हँसाने पर भी टैक्स लगवाना पड़ेगा। ऐसे नहीं मानेंगे आप।:)

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  16. सही विचार...
    और सुंदर अभिव्यक्ति...

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  17. अपनी प्रकृति के खिलाफ़ काम करना ऐसे ही महंगा पड़ता है। लौट आइए अपनी पुरानी फॉर्म में। :)

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