शनिवार, जुलाई 25, 2009

बोलो असत्य भगवान की....



कल असत्य भगवान मिल गये । नज़र बचाकर निकलने की जुगत में थे पर मैंने आदाब बजा ही दिया । लिहज़ा उन्हें रुकना पड़ा । मैंने पूछा, "भगवन ! मैं आपका कितना बड़ा पुजारी हूँ यह बात तो आपसे छिपी नहीं , फ़िर इस बेरुखी का कारण ? " बोले, " असत्य से सत्य जानना चाहते हो ? तो सुनो । इसका कारण यह है कि मेरा भरोसा अपने भक्तों से उठ गया है । आजकल न जाने लोगों को क्या हो गया है । जिसे देखो सच का सामना करने को आतुर दिख रहा है । कल तक जो मेरे सबसे प्रिय भक्त थे आज वही विरोधी सेना में खड़े हैं । यह देखकर मेरा दिल टूट गया है । मुझे अपने भक्तों से इतने स्वार्थी होने की उम्मीद न थी । "

मैंने कहा, " भगवन यह तो दुनिया है । इसमें लोग सत्य-असत्य सब स्वार्थ के लिये ही तो बोलते हैं । आजकल मँहगाई इतनी बढ़ गयी है कि जीना दूभर हो गया है । ऐसे में अगर किसी को सत्य बोलने से चार पैसे मिलते हैं तो आपको भला क्या आपत्ति है ? "

भगवान बोले, " ऐसे पैसे का लाभ ही क्या जिसके लिए अपमानित होना पड़े ? जरा रिकॉर्ड उठाकर देख लो कितने लोग पैसा ले गये सत्य के पुजारी बन कर ? दरअसल स्वार्थ ही तो सब रोगों की जड़ है । वे लोग मेरे पास भी स्वार्थ के लिये थे । और सत्य की शरण में भी स्वार्थ के लिये ही गये हैं । अगर मेरे महत्व का उन्हें अहसास होता तो कदापि सत्य की शरण न ली होती । मैंने दुनिया में कितनी उथल-पुथल को दबा रखा है । अब शायद लोगों को पता चले । क्योंकि किसी चीज के महत्व का अहसास तभी होता है जब हम उसे खो देते हैं । यदि मैं दो दिन के लिये भी काम करना बन्द कर दूँ तो त्राहि त्राहि मच जाएगी । "

" लेकिन भगवन ! अब पॉलिग्राफ मशीन आगयी है तो क्या पता जिन्दगी में कब इसका सामना करना पड़ जाए । इसलिये मेरा भी यही विचार है कि अब लोगों को आपसे किनारा करना ही होगा । कल को हो सकता है यह मशीन न्यायालय में भी लगा दी जाये । तो क्यों न सत्य बोलने की आदत डाल ली जाए ?" मैंने कहा ।

वे बोले, " सत्य बोलने से दुनिया नहीं चलती । इस मशीन से तुम्हें पार पाना है तो भी मेरा ही आसरा लेना होगा । तुम्हें शायद पता नहीं कि इस मशीन की विश्वसनीयता अभी भी सवालों के घेरे में है । और ऐसी स्थिति में सरकार इसे न्यायालय में लगाने को तो सोच भी नहीं सकती । हाँ यह संभव है कि इसे बैन कर दिया जाय । क्योंकि यही बहुमत की इच्छा है । और सरकार तो बहुमत से चलती है । वैसे इस मशीन के बारे में कहा जा रहा है कि कुछ आदतन झूठ बोलने वाले लोग इसे चकमा दे सकते हैं । तो हे भक्त ! झूठ बोलने की आदत डाल । सिर्फ स्वार्थ हेतु ही झूठ न बोल । निस्वार्थ भाव से झूठ बोल । हर समय झूठ ही बोल । ऐसा करने से ही तू इस मशीन को जीतने में सफ़ल हो सकता है । क्या तूने शास्त्रों को नहीं पढ़ा ? सभी जगह तो लिखा है कि इस संसार में जो कुछ भी दिखाई देता है सब असत्य है । ऐसे में तू मुझसे किनारा करेगा तो तुझे संसार से किनारा करना पड़ेगा । चार दिन की इस जिन्दगानी में फ़ालतू फेरों में न पड़ । घर जा , मौज ले ।" ऐसा कहकर असत्य भगवान आगे चल दिये ।

मैं बोले जा रहा था असत्य भगवान की... जय ! इसी समय श्रीमती जी ने मुझे जगा दिया और सपना अधूरा ही रह गया ।

19 टिप्‍पणियां:

  1. असत्य की महिमा अनन्त है। सत्य में जरा सा मिलावट हुई कि बेकार हो जाता है जबकि असत्य हर तरह से काम करता है। चाहे पूरा का पूरा इस्तेमाल करो चाहे पूरे सच में जरा सा असत्य का लेप लगा दो। इसीलिये इसका फ़ैशन हमेशा बना रहता है। अब बोल ही दो। जो होगा देखा जायेगा।

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  2. सपने के असत्य के बाद माया का असत्य और उस पर यह आभासी दुनिया -सच है ही कहां ?

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  3. नासतो विद्यते भावः, असत्य का तो अस्तित्व ही नहीं है।
    आप को कहाँ मिल गया?

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  4. चतुराई से कह गए है असत्य भगवान।
    विश्लेषण अच्छा लगा और व्यंग का बाण

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  5. असत्य भगवान ने यह सार तत्व तो समझा ही दिया कि कुछ भी यदि स्वभाव बन जाय, अ-बोध की स्थिति में पहुँच जाय तो भला ही है । झूठ यदि स्वभाव बन जाय तो फिर कहना ही क्या ? वह तो सत्य ही होगा किसी न किसी तरह ।

    सबसे बड़ी बात चयन का झंझट तो नहीं ही होगा कि क्या सच है क्या झूठ ?
    मैं आपकी अभिव्यंजना-शक्ति से चमत्कृत हूँ । धन्यवाद ।

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  6. " भगवन यह तो दुनिया है । इसमें लोग सत्य-असत्य सब स्वार्थ के लिये ही तो बोलते हैं"

    इस लाईन को तो 100 नंबर..

    इसीलिए हम ना तो ऐसे शो देखते है ना ही हलकान होते है..आप ईलाज करवाओ आजकल सपने बहुत आ रहे है..

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  7. बोलो---असत्य महाराज हैं अजेय:)
    सपने बने रहे ..पर नींद इतनी गहरी न हो कि उठने के बाद सपना ही भुला दिया। शायद भाभीजी इसी लिए स्पीडब्रेकर बन रही हैं:)

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  8. सत्य के लिये असत्य का अस्तित्व जरूरी है...

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  9. अरे आलेख पढकर तो मुझे यही पता नही रहा कि सत्य भी कुछ होता है आज यूँ ही शनिदेवता का दिन है तो अस्त्य की बात तो होनी ही चाहिये थी मैं हैरान हूँ कि जिस झूठ को कभी कभी पोलिग्राफी मशीन भी नहीं पकड सकती उसी को आपकी कलम ने कैसे पकड लिया ? बहुत गहरे भाव लिये ये व्यंग बहुत ही लाजवाब है चाहे आप मेरा पोलिग्राफी टेस्त करवा लें मैं झूठ नेहीं कह रही हा हा हा अद्भुत्

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  10. हे भक्त ! झूठ बोलने की आदत डाल । सिर्फ स्वार्थ हेतु ही झूठ न बोल । निस्वार्थ भाव से झूठ बोल । हर समय झूठ ही बोल । ऐसा करने से ही तू इस मशीन को जीतने में सफ़ल हो सकता है । क्या तूने शास्त्रों को नहीं पढ़ा ? सभी जगह तो लिखा है कि इस संसार में जो कुछ भी दिखाई देता है सब असत्य है ।

    वाह विवेकजी,
    शब्दों की टांग तोड़ना तो कोई आप से सीखे !

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  11. असत्य भगवान की इस पावन कथा का आपके माध्यम से श्रवण(पठन) करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। धन्य हो!!!!
    असत्यम....अशिवम.....असुन्दरम!!!

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  12. बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  13. पत्नी रूपी पॉलिग्राफ मशीन के बारे मे क्या ख्याल है उससे कैसे पार पायेंगे?

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  14. बहुत ही सुन्‍दर. अच्छा लगा

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  15. भाई जरा उसका पता ठीकाना हमे भी बताना.

    रामराम.

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  16. बहुत सटीक!!

    असत्य भगवान की... जय !

    धन्य भये.

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