शुक्रवार, अगस्त 14, 2009

अब तुम्हीं कहो, मैं अवतार कैसे लूँ ?


सभी कृष्ण-भक्तों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ ! आज हमारा वार्षिक उपवास है । पूरे वर्ष में आज ही के दिन हम उपवास करते हैं । भूखे ब्लॉग नहीं लिखा जाएगा । इसलिये भूख लगने से पहले ही लिख दिया ।

एक कृष्ण-भक्त भगवान को जोश दिला रहा था । उसे लगा होगा कि शायद भगवान जोश में आकर अवतार ले ही लें तो लगे हाथ दर्शन कर लें । जोर जोर से गा रहा था :

"कन्हैया कब लोगे अवतार ?
हो चुके काफी अत्याचार ॥
लुट चुके सामाजिक संस्कार ।
मिल रहे असुरों को अधिकार ॥
ताक पर रखे नियम-कानून ।
हुआ पानी से सस्ता खून ॥
हर कोई सहमा सा बेचैन ।
तरक्की की यह कैसी देन ?
लुट रहा अबला का सम्मान ।
देव ! अब तो ले लें संज्ञान ॥
बेचती है माँ अपना लाल ।
भाग्य का कैसा अद्भुत जाल ॥
किराए पर दी जाती कोख ।
कहीं पर कोई रोक न टोक ॥
देश खण्डित करने की चाह ।
तलाशें दुश्मन मिलकर राह ॥
उधर वह चीन बिछाता जाल ।
इधर ये पाकिस्तानी ब्याल ॥
फैलती महामारियाँ रोज ।
नहीं उपलब्ध दवा की डोज ॥
बचेगा किस प्रकार संसार ।
कन्हैया ! कब लोगे अवतार ?"

तभी भगवान ने उसके ब्लॉग पर टिप्पणी के रूप में अपना जवाब भेजा : " भक्त ! आपकी प्रार्थना मिली । पढ़कर अति प्रसन्नता हुई । जानकर अच्छा लगा कि आज भी लोग मेरा इन्तजार कर रहे हैं । किन्तु क्या करूँ । धरती पर मामा कंस को इतना बदनाम कर दिया गया है कि अब कोई भाई अपनी बहन-बहनोई को जेल में डालने की हिम्मत ही नहीं करता । अब तुम्हीं कहो ,मैं कैसे अवतार लूँ ?"

टिप्पणी को प्रकाशित करने के लिये भक्त ने माउस क्लिक किया ही था कि मेरी आँख खुल गयी ।

सूचना : स्वप्नलोक के शुभचिन्तक श्री चन्द्रमौलेश्वर जी(कलम वाले) ने बड़ी तेजी से अपना टिप्पणियों का अर्धशतक पूरा किया है । उन्हें कम्पनी की ओर से ढेर सारी बधाइयाँ ।


22 टिप्‍पणियां:

  1. rachna vastavikta darshati hai, kash bhagwan purani option na rakh avtaar lene ki nai option lete. janmashtmi ki shubhkaamnaayen

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  2. जय हो। कृष्णजी को टिपियाना आ गया तो ब्लागर भी बन जायेंगे। आज का टिप्पणीकर्ता कल का ब्लागर होता है।

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  3. मै टिप्पणी करते समय जागृत (शायद) अवस्था मे हूँ. अच्छा है भगवान भी टिपियाने लगे.
    अच्छी रचना

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  4. वाह! गजब लेखन है भाई. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई.

    लेकिन मुझे पूछना है;

    बता दो मुझको मेरे शिष्य
    कहाँ देखा है ऐसा दृश्य?
    अगर देखा है सपने में
    किया क्यों सपने को यूं फिस्स?

    बढाते सपने को आगे
    भला क्यों जल्दी से जागे?
    चढावा चढ़ जाता उनको
    तो शायद सोचें वे आगे

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  5. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...जय श्रीकृष्ण !!

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  6. कृष्ण के लिए धरती पर आने का हल अनूप जी ने निकाल दिया है। ब्लागिंग में जनम सकते हैं।

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  7. अच्छी रचना
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई .

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  8. हे भगवान अब आप भी ब्‍लॉग जगत में टीपि‍याने आ रहे हो वाया स्‍वप्‍नलोक:)

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  9. सही है गुरु. आज रात नींद आने पे "पिछले अंक से आगे" का चांस है क्या ?

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  10. वाह-वाह!

    यह दूसरा वाह शिव बैया की टिप्पणी के लिए।

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  11. भैया विवेकजी, यदि हमें भी आपका हुनर आता तो अब तक टिप्पणी की सेंचुरी लगा दी होती:)। अब अधिक क्या कहें... आप उपवास पर है तो माखन लगा कर आपको इस स्वप्न की बधाई दे देते हैं और कामना करते हैं कि अगले स्वप्न में शिव भाई का उत्तर भी मिलेगा:) जन्माष्टमी की शुभकामनाएं॥

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  12. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
    ----
    INDIAN DEITIES

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  13. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। फ़ुरसतिया जी की बात पर ध्यान दिया जाये.

    रामराम.

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  14. वैसे आपकी ये आँख हमेशा गलत टाईम पे ही क्यूँ खुलती है:)

    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!

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  15. कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई

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  16. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  17. शुक्ल जी बात सुन कर हमारी प्रतिक्षा शुरू हो गयी है कृष्ण के ब्लौगावतार के लिये....उपवास तो टूट गया होगा वैसे अब तक?

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  18. शुभकामनाऐं... जनमाष्टमी की...

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  19. और रचना तो है ही बेहतरीन सभी कह चुके..

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  20. " यदा यदा ही धर्मस्य,
    ग्लानिर्भवति भारत..
    अभ्युत्थानम अधर्मस्य
    तदात्मानम सृजाम्यहम
    परित्राणायाय साधुनाम,
    विनाशायच दुष्कृताम
    धर्म सँस्थापनार्थाय,
    सँभावामि, युगे, युगे ! "
    ***************************
    श्री राधा मोहन,
    श्याम शोभन,
    अँग कटि पीताँबरम
    जयति जय जय,
    जयति जय जय ,
    जयति श्री राधा वरम्
    आरती आनँदघन,
    घनश्याम की अब कीजिये,
    कीजिये विनीती ,
    हमेँ, शुभ ~ लाभ,
    श्री यश दीजिये
    दीजिये निज भक्ति का वरदान
    श्रीधर गिरिवरम् ..
    जयति जय जय,
    जयति जय जय ,
    जयति श्री राधा वरम्
    *********************************
    रचनाकार [स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ]

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