रविवार, सितंबर 05, 2010

वैसे तो चलता इसके बिन

तुम तेजी से बदल रहे हो
सच पूछो तो फिसल रहे हो

रोको इस फिसलन को भाई
इस सलाह में नहीं बुराई

हमसे दूरी बना रहे हो
मेल उसी से बढ़ा रहे हो

जिससे हमें सख्त नफ़रत है
पड़ी तुम्हें उसकी आदत है

उसके मुँह से मुँह चिपकाए
किन्तु न तुम बिल्कुल शरमाए

हमें पता है वह कैसी है
बिल्कुल बहेलिया जैसी है

पहले जाल बिछा देती है
अनजान को पटा लेती है

तुमसे पहले बहुत फँसे हैं
इस नागिन ने बहुत डसे हैं

कभी झुण्ड में कभी अकेले
तनहाई हो या हों मेले

यह लोगों के साथ मिलेगी
सबके लब पर मुँह रख देगी

शर्म-ओ-हया न इसको आती
सबसे खुले आम बतियाती

सज्जन लोग देखकर जलते
बेचारे मुँह फेर निकलते

किन्तु मुई यह जिनको प्रिय हो
लगा इसी में उनका हिय हो

उनको लाज नहीं आती है
यह भी तनिक न शरमाती है

इसने लाखों घर फूँके हैं
घर में जो बच्चे भूखे हैं

उन्हें भूल इसको अपनाना
गलत नहीं क्या जरा बताना

किन्तु लोग ऐसा करते हैं
जैसा करते हैं भरते हैं

टीबी, दमा, कैंसर, छाले
दिल की भी बीमारी पाले

बेचारे पछताते रहते
अन्त समय में सबसे कहते

"मैंने बहुत बड़ी गलती की
जब सिगरेट शुरू में पी थी

भाई कोई इसे न पीना
लम्बी उम्र अगर है जीना"

बुरी लगें यदि बातें तुमको
शिष्य माफ़ कर देना हमको

वैसे तो चलता इसके बिन
शिक्षक दिवस आज है लेकिन

इसीलिए तुमको समझाया
हमने गुरु का फ़र्ज़ निभाया

12 टिप्‍पणियां:

  1. किसी की बुराई करते नहीं मगर सख्‍त नफरत भी कर लेते हैं, बातें आपकी विचारधारा से मेल खाना भी आवश्‍यक नहीं होता, यह सब एक साथ कैसे संभव होता है.

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  2. शिक्षक दिवस के दिन, बहुत सही सलाह दी आपने भाई, धन्‍यवाद.

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  3. जिससे हमें सख्त नफ़रत है
    पड़ी तुम्हें उसकी आदत है


    -अब समझे!!!

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  4. सुन्दर सन्देश देती रचना के लिये बधाई।

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  5. बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
    शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  6. बहुत खुब्, आशा करते है कि इसे पडने के बाद कुछ लोग सिगरेट छोड़ देंगे

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  7. अद्भुत!
    बहुत सुन्दर और सन्देश देती हुई अद्भुत कविता. ऐसा आप ही लिख सकते हैं, विवेक.
    वाह! वाह!

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  8. वाह क्या बात है! कितनी अच्छी सीख दे डाली बातों ही बातों में। बहुत बढिया भई। बधाई आपको।

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  9. धूम्रपान के खिलाफ रोचक प्रस्तुति...इसे तो हर सिगरेट की डिब्बी पर छपवाना चाहिए और पान की दूकान पर प्रिंट करके लटकाना चाहिए...वाह...
    नीरज

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