मंगलवार, सितंबर 07, 2010

भारत की महानता खतरे में

मुझे अच्छी तरह पता है कि मेरा भारत महान है । अगर भारत महान न होता तो कितने ही ट्रक वाले अपने ट्रकों के पीछे यूँ ही तो नहीं लिखवा लेते " मेरा भारत महान"  ।  हमें सिखाया गया है कि चूँकि हमारा भारत महान है इसलिए हमें इस पर नाज होना चाहिए । इतना नाज होना चाहिए कि भारत नाजमय हो जाए ।
हमने ऐसा ही किया । अपने भारत पर बहुत नाज किया । इतना नाज किया कि अनाज कम पड़ गया । हम भूखों मरने लगे । भूखा आदमी नाज फाज सब भूल जाता है । हम भी भूल गए । विदेशों से अनाज माँगने चले गए । पर नहीं मिला । विदेश वाले हमसे भी पहले मर गए । रहीम जी ने ठीक ही कहा था ।
रहिमन वे नर मर चुके जो कहुँ माँगन जाइँ
उनसे पहले वे मुए जिन मुख निकसति नाहिं
हारे को हरि नाम की तर्ज पर हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री ने हफ़्ते में एक दिन व्रत रखने को कह दिया । अनाज बचने लगा । नाज अपेक्षाकृत और भी कम हो गया । 
हरितक्रान्ति ने तो अनाज की पैदावार को इतना बढ़ा दिया कि नाज के विलुप्त प्रजातियों की लिस्ट में शामिल होने का खतरा बढ़ गया । यह हरित क्रान्ति अवश्य ही आई एस आई की हरकत रही होगी ।
अनाज को सरकार छुपाकर रखने लगी ताकि नाज अनाज की अपेक्षा ज्यादा रहे । और भारत महान बना रहे ।  लेकिन विदेशी साजिशों के फलस्वरूप  अनाज की पैदावार इतनी बढ़ी कि नाज का सेंसेक्स उठाने के लिए अनाज को सड़ाने पर मजबूर होना पड़ा ।
अब फिर सुप्रीम कोर्ट जी अनाज को गरीब जनता में बाँटने को बोल रहे हैं । इससे बड़ी मुश्किल हो रही है । देश में गरीब ही तो हैं जिन्हें देश पर नाज है अगर अनाज गरीबों में ही बाँट दिया जाएगा तो नाज की विलुप्ति का खतरा एक बार फिर  मँडराने लगेगा ।
नाज न होगा तो फिर भारत के महान होने का भला क्या फायदा । भारत कह देगा कि, "जाओ जी मैं नहीं बनता महान, जब मेरे ऊपर किसी को नाज ही नहीं है ।"

और इतने सारे ट्रकों पर "मेरा भारत महान" लिखा हुआ है उसका क्या ? सब मिटवाकर फिर से कुछ नया लिखवाना पड़ेगा जैसे, "दुल्हन ही दहेज है" , "हम दो हमारे दो" आदि । कितना पेन्टिंग का खर्चा आएगा । पूरी अर्थव्यस्था पहले ही मंदी की चपेट में है । फिर तो शायद डूब ही जाए ।

इसलिए श्री सुप्रीम कोर्ट जी कृपया अपनी ये बच्चों वाली जिद छोड़ दें । और हमें आराम से रहने दें । आप तो सुप्रीम कोर्ट हैं । कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा । लेकिन बेचारे भारत की महानता जाती रहेगी ।     

15 टिप्‍पणियां:

  1. देश में अर्थव्यवस्था को इंसानियत और नैतिकता की कीमत पर जिन्दा रखने की भ्रष्ट और निकम्मे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नीती का ये परिणाम है ,पूरा देश हरामियों,शराबियों,भ्रष्टाचारियों और हैवानों से त्रष्ट है ...जीने की मजबूरी में लोग कुकर्म करने को मजबूर है और ये बेशर्म प्रधानमंत्री सर्वोच्च न्यायलय को सरकार के नीतिगत मामलों में दखल नहीं देने की नसीहत दे रहा है ...

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  2. मारक व्यंग्य। फुरसतिया याद आ गए।
    एक ठो डिस्क्लेमर लगा दो। इजलास का मामला है। समझा करो भाई।

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  3. Kisi bhi desh kee mahanta uske deshwasiyon pe nirbhar hoti hai! Ham mahan nahi to hamara Bharat mahan nahi!

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  4. बात कही पूरे तेवर के साथ

    पूरे पराक्रम के साथ

    वाह जी वाह ....प्रभावित किया

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  5. अजी डरो नही राहुल बाबा अभी अभी ..... कर हटे है, कि वो गरीबो के सिपाही है, उन्ही को शिकायत कर दो ना,बहुत सुंदर लेख लिखा मजे दार, राम राम जी

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  6. मेरा भारत महान..

    बस हो गया महान..

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  7. मेरा भारत महान सौ में निन्यानबे बेईमान अब तो यही चलता है जी एक चिंताजनक मजेदार पोस्ट |

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  8. vivek bhaayi aapka drd vaajib he lekin aese na jane kitne mnmohn aaye or chle gye mere desh ki mhaanta ko voh zraa bhi km nhin kr ske hen isiliiyen khte he
    kucch bat he ke hsti mitti nhin hmari
    vrnaa brson se dushmn rha he dore jhaan hmara , akhtar khan akela kota rajsthan

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  9. आप ताज पे लिखें या अनाज पर....हमें आपकी लेखनी पे नाज़ है....वाह...
    नीरज

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  10. ट्रक वाले सारे देश में घूमते हैं। देश को देखते हैं। कुछ महान देखा होगा इसलिए लिखवाते हैं मेरा भारत महान। इसलिए भई हम भी मान लेते हैं मेरा भारत महान औऱ इस महानता का सत्यानाश करने वाले नेता और नेता टाइप लोग उससे भी महान

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  11. वाह क्या सटीक कटाक्ष है । मेरा भारत महान। जय हिन्द।

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