मंगलवार, अक्तूबर 06, 2009

मैं मेंढक से हार गया

आज सुबह जब बाथरूम में नहाने गया तो एक अजीब घटना हो गयी । ड्रेन की जाली हट गयी तो एक छोटा मेंढक उछलकर बाहर बाथरूम के फर्श पर आ गया । मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि एक तुच्छ मेंढक इस तरह घर में घुस आये । यदि इसे बाथरूम तक ही सीमित रहना हो तब तो सहा भी जाय । लेकिन अतीत का हमारा अनुभव रहा है कि हमने जब जब मेंढकों के प्रति उदारता दिखाई है ये किचिन तक जाने में भी नहीं हिचके ।

अब मैंने उसे वापस ड्रेन में भेजने के प्रयास आरम्भ कर दिये । मेंढक भी कम चालू नहीं था । मैंने आदमी के अलावा कभी किसी जीव को इतना चालू नहीं देखा । मैं उसे हाथ से पकड़ना नहीं चाहता था । चाहता भी तो शायद पकड़ न पाता । लिहाजा मग से पानी भरकर उसे बहाने की कोशिश की किन्तु उसने भाँप लिया और जहाँ मैंने पानी डाला वहाँ से पहले ही वह सुरक्षित स्थान की ओर पलायन कर गया । मैंने कई मग पानी इसी तरह असफल प्रयास में बहा दिया । मेंढक कभी बाल्टी के पीछे छिप जाता तो कभी वाश बेसिन से आने वाले डेढ़ इन्च के पाइप के पीछे जा छिपता ।

मैंने पहले कई बार मेंढकों को बाथरूम में देखकर अनदेखा किया है पर आज इस जिद्दी मेंढक की धृष्टता पर मुझे क्रोध आने लगा । एक तुच्छ जीव मुझ मनुष्य को चुनौती दे रहा था । हम सुनते आ रहे हैं कि आदमी के जैसा मस्तिष्क ईश्वर ने किसी और जीव को नहीं दिया पर यह मेंढक इस अवधारणा को झुठलाने की हठ कर रहा था । जब सब तरफ से मैं उसे ड्रेन के तीन इन्च व्यास के छिद्र के पास लाता तो वह फिर कूद कर दूर चला जाता और सारी मेहनत बेकार हो जाती । काफी देर तक यही क्रम चलता रहा । अब मेरा उद्देश्य नहाना न होकर इस धृष्ट मेंढक को बहाना था ।

यूँ इसका दूसरा आसान उपाय भी हमने पहले से ईजाद किया हुआ है कि एक प्लास्टिक का डिब्बा मेंढक के ऊपर रख दो और नीचे से धीरे से एक मोटा कागज घुसा कर आराम से इस सिस्टम को बाहर लेजाकर मेंढक को छोड़ आओ, लेकिन अब इसे बहाना नाक का सवाल था ।

मेंढक भी अब थकता जा रहा था । उसने भी आराम करके अपनी ऊर्जा को रिकवर करने का एक अच्छा तरीका ढूँढ़ लिया ।वह वाश बेसिन वाले पाइप में घुस गया । पर मैं भी कहाँ मानने वाला था , बाहर जाकर वाश बेसिन में खूब सारा पानी बहा दिया अब मेंढक बाहर आना ही था । अब पाइप में वह पुन: एण्ट्री न मार दे इसके लिए एक कपड़ा ठूँस दिया । अब फिर से प्रयास किया तो मैं मेंढक को ड्रेन में बहाने में कामयाब हो गया । इसके लिए कम्पनी का कितना पानी मैंने बहा दिया पता नहीं । पानी तो असीमित मिलता ही है ।

इस घटना के बाद मेरे मन में कुछ सवाल उठने लगे । आखिर उस मेंढक को ड्रेन से बाहर आने का अधिकार क्यों नहीं है ? धरती तो उसकी भी है । हमने ताकत के बल पर इस पर कब्जा कर लिया तो क्या हुआ धरती माता तो सभी जीवों की है ।

जवाब आया कि वह ड्रेन में नहीं रह सकता तो वहाँ पैदा होने की क्या आवश्यकता थी ? लेकिन यह भी मन को संतुष्ट न कर सका । आखिर उसके पैदा होने में उसका क्या दोष ?

मैं मेंढक से जीतकर भी हारा हुआ महसूस कर रहा हूँ ।

21 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है भाई। क्या खुब लिखा है आपने लाजवाब। शुरुआत मे तो ऐसा लगा जैसे कोई व्यगं होगा, लेकिन अन्त मे आपने सोचने को मजबुर कर दिया। बहुत ही गंभीर मुद्दा उठा लिया आपने। और विवेक जी ऐसी बात नहीं है कि दुबे जी टिक नहीं पायेगे चौबे जी के सामने।

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  2. अपने लिये मामला छायावादी हो गया!

    ये पढ कर याद आया इन्दिरा ने रतन टाटा के सामने ब्रेन-ड्रेन पर चिन्ता जताई. रतन टाटा बोले "ब्रेन-ड्रेन इज़ बैटर देन ब्रेन इन द ड्रेन"

    ब्रेन आदमी का हो या मेंढक का दोनो को ड्रेन से बाहर आने का हक तो है! :)

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  3. Jaanten hai hamare gharme paltu mendhak hua karte the! Ye pranee khatmal nahee hone dete! Aazadee kee jang me jinhon ne tan man lutaya aise pariwaar se taalluq rakhatee hun...wo log karawaas ke adndar baahar hote rahte...karagruh me behad khatmal hua karte the...ye log apne bistarke paas 3/4 mendak paalte...aaur raat bhar ye medak khatmal khate rahte...!

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  4. "। आखिर उस मेंढक को ड्रेन से बाहर आने का अधिकार क्यों नहीं है ? धरती तो उसकी भी है । "

    हां जी, चीन भी यही दलील दे रहा है कि ‘आखिर धरती तो उसकी भी है" :)

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  5. एक जीवशास्त्री का अनुभव बताता है -मेढक आया तो साँप दूर नहीं है ! जाली ठीक करें तत्काल !

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  6. विवेक भाई, पता लगाइए इस मेंढक और सांप के ब्लॉग का नाम क्या है...
    जय हिंद...

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  7. ये हुई वसुधैव कुटुम्बकम वाली बात। चलिये उस मेंढक को ड्रेन से वापस लाने चलते हैं...

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  8. "मैं मेंढक से जीतकर भी हारा हुआ महसूस कर रहा हूँ"

    बंधुवर हौसला बनाए रखे .... उस मेंढक को खोजने किसी सांप को लाना पड़ेगा चलिए इस मामले में भारतीय भुजंग से मशविरा कर लेते है

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  9. अच्छा हुआ की आप मेढक से हारा हुआ महसूस कर रहे हो नहीं तो हमें और इस विषय पर लम्बी पोस्ट पढ़नी पड़ती ! :-)

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  10. आपने गौर नही किया होगा. एकाध बार उसने भी आपको बाथरूम से बाहर निकालने की कोशिश की होगी.
    बेहतरीन

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  11. मिश्रा जी ने सही कहा कि "मेंडक आया तो सर्प दूर नहीं है"....ये भी हो सकता है कि उस सर्प के पीछे भी कोई भयंकर अजगर घात लगाए बैठा हो:)

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  12. :- जवाब आया कि वह ड्रेन में नहीं रह सकता तो वहाँ पैदा होने की क्या आवश्यकता थी ?
    @ देखिये विवेक जी मेंढक पानी में पैदा होने का पूरा हक़ रखता है अब मानव ड्रेन बना कर उसमे पानी भर दे तो मेंढक तो बेचारा वहीँ पैदा होगा ना !
    और जब मानव इस ड्रेन को बंद रखता है तो कभी खुलने पर मेंढक भी दुनिया देखने के लिए बाहर आने का हक़ रखता है कि नहीं !
    और यदि आप जीत कर भी हार महसूस कर रहे है तो शायद आपके दिल में जीवो के प्रति दया भाव है |

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  13. मेढ़क से मुकाबला और सवाल नाक का। क्या लफ़ड़ा है जी?

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  14. अजी अगर मेडक आया तो सांप दुर नही, ओर अगर सांप आया तो चील दुर नही... चलो अब मेडक को आराम से वापिस ले आओ ओर उसे खिला पिला कर सांप के आने तक मोटा ताजा कर दो..फ़िर सांप को दुध भी पिलाना, ताकि इतना मोटा हो जाये की चील उसे ना उठा पाये, ओर आप पाप से बच जाये.:)

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  15. इसमें ज़रूर कोई विदेशी ताक़तों का हाथ है विवेक भाई, क्योंकि आज शाम हमारी बवालिन की स्कूटी की डिक्की में एक नहीं दो मेंढ्क पाए गए और भगाए नहीं भाग रहें थे। फिर किसी साँप जैसी शक्ल वाले एक आदमी ने सरे-फ़ुहारा उन दोनों को खाने की सॉरी भगाने की कोशिश की और शायद कामयाब हो गया। मुआमल: पेचीदा है ज़रा सम्भालना आप भी। हा हा। खै़र बहुत दार्शनिक अंदाज़ की पोस्ट। संजीदा बात कही आपने।

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  16. तेरी जीत मे छीपी है तेरी हार,
    उदासी मन काहे को डरे।

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  17. कोई गल नहीं
    विवेक भाई
    उसे भगा तो दिया न
    अब काहे परेशान हो
    संकेतों में गहरा बोल गए
    अच्छी पोष्ट के लिए बधाईयां
    और हां जब तौलो तो बता देना
    भाई बवाल लखनउ से लौट कर
    आने तक तौलना भी मत
    शुभकानाएं

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  18. एक सीख ही दे गया है...किसी दिन कोई मेंढक ही धरती और नाली दोनों दिखा जायेगा...रेड फ्लेग ही समझो इसे. बाकी तो तुम समझदार हो मगर.. :)

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  19. भाई इसे शूट कर लेते तो माउस हंट जैसी कोई बेहतरीन फिल्म बन जाती अगली बार खयाल रखियेगा ।

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