सोमवार, अप्रैल 01, 2013

मूर्ख अच्छे हैं


आज मूर्ख-दिवस निकल गया । सबको बड़ी बेसब्री से इसका इंतजार रहता है । इसलिए नहीं कि इंतजार करने वाले सब मूर्ख हैं बल्कि इसलिए ताकि इस सुअवसर का सदुपयोग दूसरे लोगों को मूर्ख साबित करने के लिए कर सकें । एक बार दूसरों को मूर्ख सिद्ध कर दिया फिर स्वयं को तो ऑटोमैटिकली विद्वान घोषित हो ही जाना है ।

वैसे तो मूर्ख की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है । कहा जाता है कि मूर्खों के सिर पर सींग नहीं होते । किन्तु इस गणित से तो बैल होशियार की श्रेणी में आ जाता है और सारा मानव समाज मूर्ख बन जाता है । इतिहास पर निगाह डालें तो पाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति जिस डाल पर बैठा हो उसी को काटे तो उसे मूर्ख समझना चाहिए । अर्थात् अपना ही नुकसान करने वाला । लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इसके विपरीत जिस थाली में खाए उसी में छेद करने वाला मूर्ख नहीं कहलाता । अपना फायदा और दूसरों का नुकसान करना जिनके बाएं हाथ का खेल हो उनको होशियार, चालाक, चतुर और न जाने किन-किन उपाधियों से विभूषित किया जाता है । पर मूर्ख के लिए गधा, उल्लू और बेचारा जैसे पर्यायवाची उपयोग में लाए जाते हैं ।

जब बालक मूर्खता करता है तो उसे बचपना कहा जाता है और जब बड़ा आदमी वही बचपना करता है तो उसे मूर्खता का नाम दे दिया जाता है । टेक्निकली भगवान हर व्यक्ति को मूर्ख ही पैदा करता है लेकिन दुनिया में पहले से मौजूद चालाक लोग उसे बिगाड़ देते हैं ।

मूर्ख का कोई साथ नहीं देता । सब लोग तरह-तरह से उससे मजे लेते हैं जबकि वह किसी का बुरा नहीं चाहता  । मूर्ख से किसी को हानि की आशंका नहीं होती । वह किडनैपिंग नहीं कर सकता, हवाई जहाज हाईजैक नहीं कर सकता, परमाणु बम नहीं बना सकता । इन सारे कार्यों पर होशियारों का पेटेंट है ।

 यह आम धारणा है कि पति पत्नी में से कोई एक मूर्ख हो तो गृहस्थी बड़े आराम से चलती है । मूर्खों के बीच तलाक होता हुआ शायद ही किसी ने देखा होगा । तेज लोगों के बारे में मित्र पहले ही आगाह कर देते हैं कि फलाँ आदमी बहुत तेज है जरा सँभलके रहना ।  जो लोग बहुत चालाक होते हैं वे किसी के काम आते हुए कम कम ही देखे जाते हैं । आमतौर पर जिनके बाल जल्दी सफेद हो जाते हैं तत्पश्चात खोपड़ी चिकनी हो जाती है और आँखों पर चश्मा चढ़ा रहता है वे मूर्ख नहीं समझे जाते । लेकिन शरीर बेचकर होशियारी का तमगा हासिल करने वालों पर तरस आता है ।

आज बाजारीकरण के युग में जब दाग अच्छे हो गए हैं तो मूर्खों ने किसी का क्या बिगाड़ा था । मूर्ख भी अच्छे हो गए । कभी गधाप्रसाद के रूप में तो कभी बागा बनकर खूब बिक रहे हैं ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. सही है। दुनिया में जिस दिन मूर्ख नहीं रहेंगे दुनिया वीरान बन जायेगी। खतम हो जायेगी।

    जवाब देंहटाएं
  2. मूर्खता के लाभ विषयक निबन्ध प्रतियोगिता हेतु इस आलेख को तत्काल भेजें। विद्वान निर्णायकों के बीच फैसला होना है।

    जवाब देंहटाएं
  3. आजकल तो प्रतियोगिता एक दिन में सीमित नहीं रह गयी है, नित होती है।

    जवाब देंहटाएं
  4. मूर्खता के अपने लाभ अपने रंग हैं.....

    जवाब देंहटाएं
  5. मूर्खों की ही दुनिया है, राजनीति में भी जो मूर्ख है वे पदासीन हैं और जा होशियार वे बाहर।

    जवाब देंहटाएं
  6. मूर्खों के बिना यह दुनिया बिल्कुल चल नहीं सकता !

    जवाब देंहटाएं
  7. आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक
    सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
    अपने ब्लॉग को ब्लॉगप्रहरी से जोड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें http://www.blogprahari.com/add-your-blog अथवा पंजीयन करें http://www.blogprahari.com/signup .
    अतार्जाल पर हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता आपके सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती.
    मोडरेटर
    ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क

    जवाब देंहटाएं
  8. Leela Hotel Jaipur - जिंदगी मे इंसान हमेशा अपनी ख्वाइसो के लिए जीता है। वो अपनी ख्वाइसो को पूरा करने के लिए वो दूर दूर तक न जाने कितने मीलो का सफर तय करता है। अपनी बिजनेस को एक नई दिशा देने के लिए दिन रात कम करता है। इसके साथ वो अपने परिवार और समाज मे अपनी प्रतिष्ठा का भी ख्याल रखता है। इसी प्रतिष्ठा को और बढ़ाने के लिए वो बड़े बड़े होटल मे कई तरह से पार्टी करवाता है। और पार्टी मे संगे सम्बन्धियो को बुलवाया जाता है और दिल खोलकर पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। दिल्ली का लीला होटल Leela Hotel || Leela Palace

    जवाब देंहटाएं

मित्रगण