देवताओं के दाढ़ी और मूँछें नहीं होती थीं ।
वे हमसे ताकतवर थे ।
उनको युद्ध में हराना मुश्किल था लेकिन असंभव नहीं । रावण के डर से वे थरथर काँपते थे ।
...
उनके असुरों के साथ युद्ध होते रहते थे ।
हमारे ऊपर उनकी कृपा बनी रहती थी क्योंकि हम देवताओं और असुरों के बीच बफर स्टेट थे ।
देवता लोग हमें उल्लू बनाते रहते थे कि हमारे यहाँ वर्षा वे ही कराते हैं और उनकी ही आज्ञा से हमारे यहाँ धूप निकलती है आदि । यहाँ तक कि उन्होंने अपने नाम भी सूर्य, चंद्रमाँ आदि रख लिए थे ।
अपने प्रभावशाली लोगों को वे भगवान बताते थे । हमारे यहाँ कोई प्रभावशाली व्यक्ति पैदा होने पर वे उसे उन्हीं का अवतार बताकर उसे अपने में शामिल कर लेते थे ।
उनके कुछ नेता जैसे कि विष्णु जी, सांप्रदायिक टाइप के थे जबकि शिव जी जैसे नेता सेक्युलर थे ।
हम देवता और असुर किसी के सामने नहीं ठहरते थे इसलिए असुरों के डर से देवताओं की चापलूसी करते रहते थे । किन्तु हमारे कुछ राजाओं ने इतनी ताकत प्राप्त कर ली कि वे युद्ध में देवताओं की सहायता कर सके ।
देवताओं के पास अच्छे हथियार थे ।
वे स्वर्ग में रहते थे ।
स्वर्ग बहुत ऊँचाई पर था ।
स्वर्ग पहुँचना लगभग असंभव था । इस प्रयास में अक्सर लोग जान गवां बैठते थे, इसलिए यह आम धारणा बन गई थी कि स्वर्ग मरकर ही जाया जा सकता है । लेकिन देवता जिसे चाहें सशरीर स्वर्ग में बुला सकते थे ।
अर्जुन हथियार लेने स्वर्ग गए थे जबकि त्रिशंकु को जबरदस्ती स्वर्ग में पहुँचने पर धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया था । वे बेचारे शर्म के मारे वापस ही नहीं लौटे ।
स्वर्ग हिमालय के उस पार था । युधिष्ठिर हिमालय पार करके स्वर्ग पहुँच गए थे ।
हमारे यहाँ किसी राजा को घमण्ड होने पर उसको औकात याद दिलाना देवताओं को अच्छी तरह आता था ।
जब असुरों की ताकत कम हो गई तो उन्होंने हमारे साथ मेलजोल बढ़ाया । यह हमारे राजाओं को भी ठीक लगा क्योंकि हम भौगोलिक रूप से देवताओं से अधिक असुरों के सम्पर्क में आते थे ।
देवताओं से अच्छे संबंध गुजरे जमाने की बात हो गई लेकिन वे हमें औकात याद दिलाना नहीं भूले । किसी न किसी बहाने बता ही देते हैं कि, “ज्यादा उछलो मत !”
अबकी बार टैण्ट गाड़ दिए......................
वे हमसे ताकतवर थे ।
उनको युद्ध में हराना मुश्किल था लेकिन असंभव नहीं । रावण के डर से वे थरथर काँपते थे ।
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उनके असुरों के साथ युद्ध होते रहते थे ।
हमारे ऊपर उनकी कृपा बनी रहती थी क्योंकि हम देवताओं और असुरों के बीच बफर स्टेट थे ।
देवता लोग हमें उल्लू बनाते रहते थे कि हमारे यहाँ वर्षा वे ही कराते हैं और उनकी ही आज्ञा से हमारे यहाँ धूप निकलती है आदि । यहाँ तक कि उन्होंने अपने नाम भी सूर्य, चंद्रमाँ आदि रख लिए थे ।
अपने प्रभावशाली लोगों को वे भगवान बताते थे । हमारे यहाँ कोई प्रभावशाली व्यक्ति पैदा होने पर वे उसे उन्हीं का अवतार बताकर उसे अपने में शामिल कर लेते थे ।
उनके कुछ नेता जैसे कि विष्णु जी, सांप्रदायिक टाइप के थे जबकि शिव जी जैसे नेता सेक्युलर थे ।
हम देवता और असुर किसी के सामने नहीं ठहरते थे इसलिए असुरों के डर से देवताओं की चापलूसी करते रहते थे । किन्तु हमारे कुछ राजाओं ने इतनी ताकत प्राप्त कर ली कि वे युद्ध में देवताओं की सहायता कर सके ।
देवताओं के पास अच्छे हथियार थे ।
वे स्वर्ग में रहते थे ।
स्वर्ग बहुत ऊँचाई पर था ।
स्वर्ग पहुँचना लगभग असंभव था । इस प्रयास में अक्सर लोग जान गवां बैठते थे, इसलिए यह आम धारणा बन गई थी कि स्वर्ग मरकर ही जाया जा सकता है । लेकिन देवता जिसे चाहें सशरीर स्वर्ग में बुला सकते थे ।
अर्जुन हथियार लेने स्वर्ग गए थे जबकि त्रिशंकु को जबरदस्ती स्वर्ग में पहुँचने पर धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया था । वे बेचारे शर्म के मारे वापस ही नहीं लौटे ।
स्वर्ग हिमालय के उस पार था । युधिष्ठिर हिमालय पार करके स्वर्ग पहुँच गए थे ।
हमारे यहाँ किसी राजा को घमण्ड होने पर उसको औकात याद दिलाना देवताओं को अच्छी तरह आता था ।
जब असुरों की ताकत कम हो गई तो उन्होंने हमारे साथ मेलजोल बढ़ाया । यह हमारे राजाओं को भी ठीक लगा क्योंकि हम भौगोलिक रूप से देवताओं से अधिक असुरों के सम्पर्क में आते थे ।
देवताओं से अच्छे संबंध गुजरे जमाने की बात हो गई लेकिन वे हमें औकात याद दिलाना नहीं भूले । किसी न किसी बहाने बता ही देते हैं कि, “ज्यादा उछलो मत !”
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पात्र बदलते रहते हैं ..
जवाब देंहटाएंकहानी तो चलती ही रहती है !!
सही कहा
हटाएंMSCtimetable
हटाएंएक कहानी, हर एक बारी
जवाब देंहटाएंअब अगली की तैयारी
हटाएंवाह ...
जवाब देंहटाएंमनोरंजक ..
आज से २० साल बाद हम लीग ऐसे ही सुनायेंगे :)
:)
हटाएंबिल्कुल सही और सटीक उदाहरण दिया.
जवाब देंहटाएंरामराम
रामराम ताऊ जी
हटाएंगाड दिए.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मिश्र जी, ठीक कर दिया...
हटाएंपहले क्या था?
हटाएंपहले था 'उखाड़ लिए' :)
हटाएंmanoranjak
जवाब देंहटाएंlijiye I m the 100th follower :)
धन्यवाद सिन्हा जी... :)
हटाएंआपका बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइतिहास दोहराता है ऐसे ही अपने आपको ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है! :)
जवाब देंहटाएंपहले हमें देवताओं ने बनाया अब उनकी नेता आ गये कहते है वे ही आपके खेवनहार है !
जवाब देंहटाएंशानदार पोस्ट मजा आ गया पढ़कर !
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