बुधवार, अक्तूबर 06, 2010

बगुला














लगता है शर्मीला बगुला
होता किन्तु हठीला बगुला

कई रंग में मिलता बगुला
श्वेत रंग अति खिलता बगुला

श्वेत रंग यदि है भी बगुला
दूध-धुला नहिं वह भी बगुला

टेढ़ी गरदन वाला बगुला
लम्बी टाँगों वाला बगुला

पानी में न फिसलता बगुला
मछली पकड़ निगलता बगुला

नहीं चूककर रोता बगुला
फिर से चोंच डुबोता बगुला

ध्यान-मग्न हो खोता बगुला
दिखता जैसे सोता बगुला

नहीं बदलता सूरत बगुला
मानो कोई मूरत बगुला

मौका देख अकड़ता बगुला
तुरत शिकार पकड़ता बगुला

खेतों में आ जाता बगुला
दावत खूब उड़ाता बगुला

कीट पतंगे खाता बगुला
फिर भी भगत कहाता बगुला

हमको राह दिखाता बगुला
बको-ध्यान सिखलाता बगुला

सदा झुण्ड में रहता बगुला
रहो संगठित कहता बगुला

16 टिप्‍पणियां:

  1. इसलिए तो कपटियों को कहतें है जनाब,
    की बो भगत तो है, पर है बगुला ...

    बढ़िया प्रतीकात्मक व्यंग्य रचना .. लिखते रहिये ...

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  2. हमको राह दिखाता बगुला
    बको-ध्यान सिखलाता बगुला

    सदा झुण्ड में रहता बगुला
    रहो संगठित कहता बगुला

    बढिया रचना !!

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  3. हम सब समझ गए पर उन्हें आप बगुला समझते है ???

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  4. हम्म बगुला की काफी सारी पहचान बता दीं ..काम आएँगी :)
    बहुत बढ़िया बगुला.

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  5. सदा झुण्ड में रहता बगुला
    रहो संगठित कहता बगुला !!

    जी समझ रहे हैं :)

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  6. ये कविता नहीं कहानी कही है
    'बगुला-वाद' की तगड़ी ब्रांडिंग की है.

    सकारात्मक प्रस्तुति के लिए शुक्रिया.......

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  7. बचपन में रट्टा मार गए होते इसका :)

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  8. हम इंसानो मै भी आजकल इस की गुण पाये जाते हे :) धन्यवाद

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  9. सदा झुण्ड में रहता बगुला
    रहो संगठित कहता बगुला !!
    सुन्दर संदेश। शुभकामनायें

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  10. मैं तो बगुले को बस बगुला ही समझ रहा हूं (कुछ और नहीं, सच).

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  11. अच्छी प्रस्तुति..... सकारात्मक भी... संदेशपरक भी.....

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  12. सदा झुण्ड में रहता बगुला
    रहो संगठित कहता बगुला

    - बगुले के माध्यम से यह सीख उत्तम रही |

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  13. इन्सानी बगुले से बचकर रहने में ही भलाई है..

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