तेरा दावा है कि तू भारत का पूत है ।
मुझको लगता है कि तू दुश्मन का दूत है ॥
अक्ल से तू एकदम कंगाल हो गया ।
माना कि तेरे पास में दौलत अकूत है
मेरी माने तो अब आबरू बचा ले तू ।
पब्लिक खड़ी है देख ले हाथों में जूत है ॥
खींच ली जाएगी लंगोटी तेरी ।
सबको लगता है कि तू भागता भूत है ॥
वाह! इतने दिन बाद आए भी तो पतली गली से निकल जाने की बात करने लगे :)
जवाब देंहटाएंकहां रह गये थे जनाब... अब कान्टिन्यूटि बनाये रखें...
जवाब देंहटाएंवो रास्ता भी अब नहीं दिखता .. आपके इस खास पोस्ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!
जवाब देंहटाएंसुखद भविष्य है भारत के भाग्य में।
जवाब देंहटाएंएकदम बजा फ़रमाया विवेक भाई आपने। वाह वाह।
जवाब देंहटाएंहमारी तरफ़ से यह भी जड़ दें कि:-
पतली गली से मगर ज़रा संभल कर निकलना ।
वहाँ फ़ैली तेरे ही भ्रष्टाचार की मू.. है ॥
हा हा
Bahut sundar rachna.. aabhar...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंNice article thanks for this information
जवाब देंहटाएंHello google aap kya kar rahe ho?