मंगलवार, अगस्त 23, 2011

पतली गली से निकल जा



तेरा दावा है कि तू भारत का पूत है ।

मुझको लगता है कि तू दुश्मन का दूत है ॥


अक्ल से तू एकदम कंगाल हो गया ।

माना कि तेरे पास में दौलत अकूत है


मेरी माने तो अब आबरू बचा ले तू ।

पब्लिक खड़ी है देख ले हाथों में जूत है ॥


खींच ली जाएगी लंगोटी तेरी ।

सबको लगता है कि तू भागता भूत है ॥

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! इतने दिन बाद आए भी तो पतली गली से निकल जाने की बात करने लगे :)

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  2. कहां रह गये थे जनाब... अब कान्टिन्यूटि बनाये रखें...

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  3. वो रास्‍ता भी अब नहीं दिखता .. आपके इस खास पोस्‍ट से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!

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  4. सुखद भविष्य है भारत के भाग्य में।

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  5. एकदम बजा फ़रमाया विवेक भाई आपने। वाह वाह।
    हमारी तरफ़ से यह भी जड़ दें कि:-
    पतली गली से मगर ज़रा संभल कर निकलना ।
    वहाँ फ़ैली तेरे ही भ्रष्टाचार की मू.. है ॥
    हा हा

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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