सोमवार, सितंबर 08, 2008

कर दी है ताकीद

छीना दिन का चैन भी, उड़ी रात की नींद ।
भूलो यह विश्राम अब्, कर दी है ताकीद ।
कर दी है ताकीद, मिलेगी तनख्वाह मोटी ।
तुमने मेरा ब्लॉग, अगर पहुँचाया चोटी ।
विवेक सिंह यों कहें, हुआ यूँ एक महीना ।
उड़ी रात की नींद, चैन दिन का भी छीना ॥

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