एक बार किसी सुनसान राह पर कुछ अनजान लोग चले जा रहे थे ।  भादों का महीना था ।  आसमान में घने काले बादल थे और रह रह कर बिजली का चमकना सबको सहमा रहा था ।  अचानक तेज वर्षा की झडी ने कुछ लोंगों को पास ही स्थित एक छोटे मंदिर में शरण लेने को विवश कर दिया ।  वे सात लोग थे और मंदिर में मुश्किल से ही समा रहे थे ।  पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था ।  बिजली बार बार चमकती और हर बार लोगों को अपने पास आग की लपट का अहसास होता ।  बडी विकट स्थिति थी । जान के लाले पडे थे ।  सभी किंकर्तव्यविमूढ थे ।  तभी उनमें से एक बोला ," साथियो लगता है बिजली हम में से किसी की बलि लेना चाहती है ।  एसा न हो कि किसी एक की आई में सब मारे जाएं ।  इसलिए बेहतर यही होगा कि एक-एक कर सभी मंदिर से बाहर जाकर एक परिक्रमा करके वापस आजाएं ।  जिसकी आई होगी उसी को बिजली ले जाएगी ।"  
सहमति हो गई . जिसने यह सुझाव दिया था वही सबसे पहले गया . किसी तरह परिक्रमा पूरी करके वापस आगया तो बाकी बचे छ: लोगों की धड़कनें बढ़ गईं ।  हर बार जब कोई सलामत वापस लौटता तो बाकी बचे लोगों को मौत की आहट सुनाई देने लगती ।  इसी तरह दूसरा,  तीसरा,  चौथा,  पाँचवाँ और छ्टा भी हिम्मत करके एक एक कर बाहर गए और   वापस आगए । अब सातवें को मौत साक्षात सामने खड़ी दिखाई दे रही थी ।  वह बाहर कैसे जाता ?  बाकी लोगों की मिन्नतें करने लगा ।  बोला ," दोस्तो मैं अगर बाहर गया तो मेरा मरना निश्चित है । यह आप सब भी भली भाँति जानते हैं ।  क्या एसा नहीं हो सकता कि आप सभी के पुण्यों के सहारे मेरी भी जान बच जाय ?"  किन्तु वहाँ उसकी सुनने वाला कोई न था ।  "जान न पहचान,  हम क्यों अपनी जान एक अजनबी के लिए ज़ोखिम में डालें ?"  सब लोग एक स्वर में बोले ," तुम्हें जाना ही होगा ।"  वह रोने गिडगिडाने लगा ।  पर उनके हृदय न पसीजे । बिजली का चमकना  जारी था ।  अन्त में उसको धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया ।  मरता क्या न करता,  वह वहाँ से बेतहाशा भागा ।  जब वह मंदिर से पर्याप्त दूरी पर पहुँच गया तो अचानक बिजली गिरी ।  किन्तु यह क्या ?  वह बच गया ।  बिजली उस पर नहीं बाकी छ: लोगों पर गिरी थी ।  वे मर चुके थे ।  विधाता को यही मंज़ूर था ।
 
 
सही है।
जवाब देंहटाएंविधाता को यही मंज़ूर था ।
जवाब देंहटाएंबताओ, उसी के कारण बाकी ६ बचे हुए थे...चलो, होनी को कौन टाल सकता है. आधा दर्जन दिवंगतों को श्रृद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंishwr ne use bacha liya . jako rakhe saaiyan mar sake n koy. badhiya post. badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा संदेश है विवेक जी !
जवाब देंहटाएंVivek Bhai, Sahi kaha gaya hai ki kabhi kabhi hame kuchh pata nahi hota hai ki prakriti kya chahati hai...
जवाब देंहटाएंhttp://dev-poetry.blogspot.com