संभव है कि इस ब्लॉग पर लिखी बातें मेरी विचारधारा का प्रतिनिधित्व न करती हों । यहाँ लिखी बातें विभिन्न दृष्टिकोणों से सोचने का परिणाम हैं । कृपया किसी प्रकार का पूर्वाग्रह न रखें ।
सोमवार, सितंबर 22, 2008
सॉफ्ट कॉर्नर
पहले पकड़े थे कभी, मगर दिए थे छोड़ । ये आतंकी हैं वही, जो कि रहे बम फोड़ । जो कि रहे बम फोड़, सॉफ्ट कॉर्नर की जय हो । हटा वही कानून, किसी को जिससे भय हो । विवेक सिंह यों कहें, बदल दो निज़ाम सारा । पकड़ा जो एक , बार न छूटे फिर हत्यारा ॥
बदल दो निज़ाम सारा । पकड़ा जो एक , बार न छूटे फिर हत्यारा ॥ ...एक सप्ताह के अंदर पहले हिंदुस्तान की राजधानी नई दिल्ली, फिर यमन की राजधानी साना और अब पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद। आतंक के धमाके जहां कहीं भी हों, पीड़ा एक जैसी होती है और पीड़ित आम निर्दोष लोग ही होते हैं। इनकी जितनी भी निंदा की जाए, कम होगी। you are welcome on www.gustakhimaaph.blogspot.com
हत्यारा को नहीं छुटना चाहिये...
जवाब देंहटाएंपर निर्दोष नहीं मारा जाना चाहिये..
सही है हत्यारॊं को सजा मिलनी ही चाहिए।लेकिन हत्यारों को पड़ते समय ,निर्दोषों व्यक्ति ना सजा पाए।इस का सदा ध्यान रखना चाहिए।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने.. छोड़ना नही चाहिए
जवाब देंहटाएंvivekji,
जवाब देंहटाएंaatankwad sey sakhti sey hi nipta ja sakta hai.
आतंकवाद से जंग हर मोर्चे पर लड़ी जानी है। सरकार को भी जागना होगा, जनता को भी।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फरमाया--हत्यारों को सजा मिलनी ही चाहिये.
जवाब देंहटाएंबदल दो निज़ाम सारा ।
जवाब देंहटाएंपकड़ा जो एक , बार न छूटे फिर हत्यारा ॥
...एक सप्ताह के अंदर पहले हिंदुस्तान की राजधानी नई दिल्ली, फिर यमन की राजधानी साना और अब पाकिस्तान की राजधानी इसलामाबाद। आतंक के धमाके जहां कहीं भी हों, पीड़ा एक जैसी होती है और पीड़ित आम निर्दोष लोग ही होते हैं। इनकी जितनी भी निंदा की जाए, कम होगी।
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